जानें महाशिवरात्रि के व्रत, पूजन, एवं आराधना की विधि।
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जानें महाशिवरात्रि के व्रत, पूजन, एवं आराधना की विधि।
शिवरात्रि का त्यौहार फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को होता है। कुछ लोग शिवरात्रि का व्रत चतुर्दशी के दिन भी रखते हैं। इस दिन विशेष रूप में माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना होती है। मान्यता यह भी है की शिवरात्रि के पावन अवसर पर रुद्राभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना अति आवश्यक है। अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पूजा अर्चना से लेकर व्रत तक सब कुछ विधि विधान से होना आवश्यक है। चलिए जानते हैं महाशिवरात्रि के व्रत, पूजन विधि से सम्बंधित कुछ बहुत अहम बातें।
1. इस दिन प्रातः काल स्नान करके शिव की आराधना बिना कुछ ग्रहण किये करनी चाहिए।
2. पत्र पशु तथा पवित्र वस्त्र से मंडप त्यार कर कलश की स्थापना साथ ही गौरी-शंकर और नंदी बैल की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।
3. यदि आप मूर्ति की व्यवस्था न कर सकें तो शुद्ध मिट्टी से शिवलिंग बना लेने चाहिए।
4. कलश को जल से भर कर, साथ में रोली, मोली, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चन्दन, दूध, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, कामोआ, बेलपत्र आदि का प्रसाद शिव के चरणों में अर्पित करना चाहिए।
5. रात को जागरण कर के शिव की स्तुति का पाठ करना बहुत लाभदायक होता है। शिव आराधना स्तोत्रों का जाप करने से शिव प्रसन्न होते हैं।
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6. इस जागरण के दौरान शिव जी की चार आरती का विधान करना अति आवश्यक होता है।
7. शिवरात्रि की कथा सुनने से मन को शांति प्राप्त होती है, जिससे आप पूर्ण दिन शांत और शिव की भक्ति में लीन रहते हैं।
8. दूसरे दिन प्रातः जों, तिल-खीर तथा बेलपत्रों का हवन करके ब्राह्मणो को भोजन करा कर व्रत का पारण करना चाहिए।
9. भगवन शंकर को नैवेध खाना चढ़ाना निषिद्ध है। कहा जाता है की इस नैवेध खाने को जो भी कोई खता है उसे नरक की प्राप्ति होती है। इस कष्ट के निवारण हेतु शिव की प्रतिमा के समक्ष शालिग्राम की मूर्ति का होना अनिवार्य है। यदि शिव की मूर्ति के समक्ष शालिग्राम हैं तो नैवेध खाने का कोई दोष नहीं होता।
10. महाशिवरात्रि के दिन भूल कर भी भगवान शंकर को चंपा एवं केतली के फूल न चढ़ाएं।
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11. इस दिन टूटे हुए चावल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करने चाहियें।
12.बेल-पत्र और पुष्प चढ़ाते हुए इस बात का ध्यान रखें की वह कटे-फटे न हो।
13. इसके साथ ही शिवलिंग पर कुमकुम लगाना भी निषेध होता है। हालाँकि माता गौरी और गणेश जी को कुमकुम का टीका लगाया जा सकता है।
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