शिव की सर्वफलदायी ज्योर्तिलिंग स्तुति प्रार्थना
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भगवान शिव का पूजन सर्वफलदायी होता है. शिव पूजा द्वारा सभी प्रकार के कष्टों की समाप्ति होती है. भगवान शिव का प्रभाव जीवन को आलौकित करता है. हिंदुत्व के तीन मुख्य देवताओं में से एक हैं, शिव योग, ध्यान और आध्यात्मिकता के स्रोत हैं. शिव दोनों प्रकार के भक्तों के लिए अभयारण्य हैं, जो धन और सांसारिक सुख चाहते हैं और जो संसार के दुखों से मुक्ति चाहते हैं. शिवलिंग स्तुति हेतु कई प्रकार की रचनाएं प्राप्त होती है तथा शिव मंत्रों की प्राप्ति होती है. इन में भगवान शिव के समस्त ज्योर्तिलिंग का पूजन एक ऎसी स्तुति में निहित है जिसे पढ़ने पर समस्त ज्योर्तिलिंगों के दर्शन का फल प्राप्त होता है. शिव पूजन में कई प्रकार की विधियां मौजूद हैं. भगवान शिव को समर्पित समस्त प्रकार के कृत्यों में शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व होता है इसमें द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत का जाप करना उत्तम होता है.
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र –
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
सौराष्ट्र प्रदेश के काठियावाड़ में श्री सोमनाथ, श्रीशैल पर श्री मल्लिकार्जुन, उज्जयिनी में श्री महाकाल, ओंकारेश्वर में अमरेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्री भीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुका वन में श्री नागेश्वर, वाराणसी में श्री विश्वनाथ, गोदावरी के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर श्री केदारनाथ और शिवालय में श्री घृष्णेश्वर. नियमित रुप से इन ज्योतिर्लिंगों के नाम लेने एवं स्मरण करने से व्यक्ति के सात जन्मों के पापों का नाश होता है.
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत महत्व
हिंदू धर्म से प्राप्त मूल धार्मिक स्थल एवं रुपक शिव, ब्रह्मा और विष्णु देवताओं को समर्पित रहे हैं. शिव को कई नामों से जाना जाता है, महादेव, महायोगी, पशुपति, नटराज, भैरव, विश्वनाथ, भव, भोले नाथ इत्यादि नामों से प्रसिद्ध हैं तथा भगवान शिव शायद हिंदू देवताओं में सबसे जटिल हैं, और सबसे शक्तिपूर्ण ईश्वर में से एक हैं. शिव शक्ति या शक्ति शिव है, शिव विध्वंसक हैं, त्रिमूर्ति में ब्रह्मा और विष्णु के साथ देवताओं में से एक हैं. मंदिरों में, शिव को आमतौर पर एक प्रतीक के रूप में चित्रित किया जाता है, ‘लिंग’, जो सूक्ष्म और स्थूल दोनों स्तरों पर जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है. दोनों दुनिया एक जिसमें हम रहते हैं और एक वह दुनिया जो संपूर्ण का निर्माण करती है ब्रम्हांड. एक शैव मंदिर में, ‘लिंग’ को शिखर के नीचे केंद्र में रखा जाता है, जहां यह पृथ्वी की नाभि का प्रतीक है इसलिए शिवलिंग पूजन बहुत सकारात्मक मानी जाती है.
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शिव दर्शन में 12 ज्योर्तिलिंगों का दर्शन करना उत्तम फलदायी होता है. भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे साधन ही इन ज्योर्तिंलिंग का पूजन होता है. व्रत और पूजा से भगवान शिव आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. मान्यताओं अनुसार सच्चे मन से ज्योर्तिलिंग पर जल चढ़ाने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं. ग्रह दोषों से मुक्ति भी प्राप्त होती है. इसलिए भगवान शिव के इस स्त्रोत द्वारा सभी प्रकार के मानसिक संतोष एवं मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है.
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