mahashivratri 2022: meaning and significance
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महाशिवरात्रि के बारे में जानें ये ख़ास 5 बातें, जो हैं बहुत आवश्यक।
आज के दिन का सभी शिव भक्तों को पूरे वर्ष इंतज़ार रहता है। आज पूरे भारत में महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम और हर्षउल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आपको आज जगह-जगह शिव मंदिर सजे दिखाई देंगे। मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता हैं। आज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। आज के दिन शिव भक्त भगवान भोले को प्रसन्न करना चाहते है। भक्तों की भक्ति देख कर ऐसा लगता है मानों जैसे कि आज के दिन भक्त अपने भगवान से सारी बातें कर लेना चाहते हो।
आज के दिन का महत्व ही अलग होता है। वातावरण में अलग ही खुशी और ताज़गी महसूस होती है। आज के दिन भगत अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार हर संभव प्रयास करते है। कोई जागरण कराता है तो कोई भक्त कीर्तन, तो वही कोई भक्त चारों पहर की पूजा कर भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहता है। कई मंदिरों में तो आज के दिन शिव विवाह पूरे विधि विधान के साथ कराया जाता है। तो वही मंदिरों में आज के दिन ठंडाई, फल का प्रसाद के तौर पर वितरण किया जाता है।
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सुख समृद्धि की कामना के साथ आप सभी को भी महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। महादेव आप सभी पर अपनी कृपा बनाये रखें। चलिए जानते हैं इन 5 खास बातों के बारे में जिन्हे जानना है बहुत आवश्यक।
1. मानव शरीर में ऊर्जा कुदरत अनुसार ऊपर की ओर चढ़ती है।
हर चंद्रमास के चौदहवे दिन ओर अमावस्या के दिन पहले शिवरात्रि होती है। इस दिन मनुष्य के भीतर ऊर्जा ऊपर की बढ़ती है। भारतीय कैलेंडर में माघ के महीने में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। इस दिन प्रकृर्ति सही मायने में मानव शरीर में ऊर्जा बढ़ने में सहायता करती है। योग ओर अध्यात्म का मूल उद्देश्य इंसान को उसकी सीमा से सीमाहीन्ता की ओर लेजाना है। जिसके लिए सबसे आवश्यक मूलभूत प्रक्रिया है।
2. अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग महत्व।
महाशिवरात्रि कई रूपों में महत्वपूर्ण है। जो लोग पारिवारिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं, वो लोग महाशिवरात्रि के दिन को भगवान शिव की विवाह की सालगिरह के रूप में मानते हैं। तपस्वियों और सन्यासियों के लिए यह वह दिन है, जब वह कैलाश के साथ एकाकार हो गए थे और अचलेश्वर बन के कैलाश पर्वत में समा गए थे। सभी पस्वियों ओर सन्यासियों ने अपना सारा ज्ञान कैलाश पर्वत में सुरक्षित रख दिया था इसलिए वह सभी महाशिवरात्रि का दिन स्थिरता व शांति के दिन के तौर पर मनाते हैं।
3. रात भर रीढ़ को सीधा रखना बहुत सी संभावनाएं खोलता है।
जैसा की हम जानते हैं की महाशिवरात्रि के दिन मानव शरीर में ऊर्जा ऊपर की ओर बढ़ती है। इसलिए रत को हमे अपनी मेरुदंड यानि रिड की हड्डी को सीधा रख कर जागना चाहिए ताकि हमारी साधना में प्रकृति भी हमारी सहायता करे। मनुष्य का सारा विकास ऊर्जा का ऊपर की ओर बढ़ने से ही जुड़ा है। कोई भी आध्यात्मिक साधु जब साधना करता है तो उसका मूल उद्देश्य ऊर्जा को ऊपर की तरफ लेजाना ही होता है।
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4. संगीत ओर नृत्य का रात भर चलने वाला उत्सव।
महाशिवरात्रि का अनुभव करने के लिए संगीत ओर नृत्य सबसे ज़रूरी दो तत्व हैं जो मनुष्य को भगवन की आराधना में लीनहोने में सहायता करते हैं। महाशिवरात्रि का दिन बिना संगीत ओर नृत्य के अधूरा है। शिव की साधना में लीन भक्तों को संगीत के माध्यम से प्रभु के ओर करीब आना चाहिए। इससे उनका मन शांत रहता है।
5. पंचभूत आराधना का महत्व
भौतिक शरीर सहित समूची सृष्टि का आधार पांच तत्व यानी पंचभूत है। मनुष्य के देह में पांच तत्वों के शुद्धिकरण से मनुष्य के मन को खुशहाल बनाया जा सकता है। यह प्रक्रिया मनुष्य के शरीर में कल्याण हेतु सहायक साबित होती है। भूत शुद्धि नामक योग की एक पूर्ण प्रणाली है, जिसका मतलब है तत्वों की सफाई।
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