अर्जुन ने युधिष्ठिर को मारने के लिए उठा ली थी तलवार, जानें श्रीकृष्ण ने कैसे बचाया।
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अर्जुन ने युधिष्ठिर को मारने के लिए उठा ली थी तलवार, जानें श्रीकृष्ण ने कैसे बचाया।
महाभारत की कहानियां हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। इनसे हमें जीवन जीने की सीख मिलती है। महाभारत कालीन युग का आधार भले ही सत्य, दान, वचन पर टिका था। मगर रिश्तों में उलझनें तब भी नजर आती थी। आज हम महाभारत की ऐसी कहानी की यहां चर्चा करेंगे, जिसमें एक भाई दूसरे की जान लेने पर उतारू हो गया। हम बात कर रहे हैं पांच पांडवों में से एक अर्जुन और उनके बड़े भाई युधिष्ठिर की।
कहते हैं कि जब कुंती पुत्र कर्ण कौरव का सेनापति बन गया तो उसने पांडवों की नींद उड़ा दी। कौरवों की सेना पांडवों की सेना का सफाया करने लगे। इससे युधिष्ठिर को रहा नहीं गया और वे कर्ण से युद्ध करने पहुंच गए। मगर कर्ण के सामने वे अपना कौशल नहीं दिखा सके। कर्ण ने युधिष्ठिर को युद्ध में घायल कर दिया। युधिष्ठिर को हारता देख सारथी उन्हें युद्ध से दूर ले गया।
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तभी श्रीकृष्ण और अर्जुन, युधिष्ठिर से मिलने पहुंचे। युधिष्ठिर को लगा कि अर्जुन ने कर्ण को मारकर उनका बदला ले लिया है। मगर जब युधिष्ठिर को पता चला कि कर्ण अभी जिंदा है तो उन्हें गुस्सा आ गया। उन्होंने अर्जुन को अपना शस्त्र किसी और को देने के लिए कह दिया।
अर्जुन ने युधिष्ठिर को मारने के लिए उठा ली तलवार।
दरअसल, अर्जुन ने गुप्त प्रतिज्ञा ली थी कि कोई भी उन्हें अपना शस्त्र छोड़ने के लिए कहे, तो वह उसकी हत्या कर देंगे। युधिष्ठिर ने जब अर्जुन को अपना शस्त्र किसी और को देने के लिए कहा तो वचनबद्ध अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध करने के लिए तलवार उठा ली। श्रीकृष्ण वहीं मौजूद थे। उन्होंने अर्जुन को समझाया कि पहले से अपमानित व्यक्ति मृतक के समान होता है। एक मरे हुए आदमी को फिर से मारकर क्या करोगे?
श्रीकृष्ण ने दोनों भाइयों के बीच कराया समझौता।
श्रीकृष्ण की बात अर्जुन को समझ आ गई, उन्होंने अपने युधिष्ठिर का वध नहीं किया। मगर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए उन्हें कोई कदम उठाना था। इसलिए अर्जुन ने अपने गुरु समान बड़े भाई को ऐसे अपशब्द कहे, जो पूरे जीवन में किसी को नहीं कहे थे।
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अपने अपमान से व्यथित हुए युधिष्ठिर।
जब अर्जुन ने अपशब्द कहे तो युधिष्ठिर के मन को ठेस पहुंची। उन्होंने सबकुछ त्याग कर वन जाने का मन बना लिया। बाद में श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि उनके कहने पर ही अर्जुन ने अपशब्द कहे थे। श्रीकृ्ष्ण की बात सुनकर युधिष्ठिर ने अपने छोटे भाई को माफ कर दिया।
अर्जुन को भी हुआ पछतावा।
अपने बड़े भाई को कटु शब्द कहकर अर्जुन से रहा नहीं गया। उन्हें पछतावा हुआ। उनके मन में आत्महत्या जैसे ख्याल आए। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भी समझाया कि तुमने अपने वचन को पूरा करने के लिए ऐसा भाई को अपशब्द कहे। श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम खुद की तारीफ करो, ऐसा करना आत्महत्या करने जैसा है। अर्जुन ने वैसा ही किया और फिर दोनों रथ में सवार होकर चल दिए।
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