Lefthanders Day: क्या लेफ्ट हैंडर्स होते है ज्यादा काबिल, आइए जानें


मेडिकल साइंस के शोध से जुड़े लोग और मनोवैज्ञानिक आज भी ये पता लगाने की कोशिश में हैं कि हमारे डीएनए का कौन सा हिस्सा इस बात के लिए उकसाता है कि हम दाएं या बाएं हाथ का इस्तेमाल ज्यादा करें.

News Nation Bureau | Edited By : Ritika Shree | Updated on: 17 Aug 2021, 06:34:05 PM

लेफ्ट हैंडर्स डे (Photo Credit: गूगल)

highlights

  • दुनियाभर में सिर्फ10 फीसदी लोग ही बाएं हाथ का इस्तेमाल सभी जरूरी कामों में करते हैं
  • बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले समझदार और रचनात्मक होते हैं
  • लेफ्ट हैंड यूज करने को लेकर उन्हें किसी भी तरह का पॉजिट‍िव या नेगेट‍िव अंधविश्वास नहीं पालना चाहिए
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नई दिल्ली:

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (University College London) के डॉक्टरों के एक शोध के मुताबिक बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले लोग ज्यादा समझदार होते हैं. उनके पास दूसरे आम इंसानों के मुकाबले कुछ ज्यादा काबिलियत होती है. इतना ही नहीं, लेफ्ट हैंडर्स में ज्यादा क्र‍िएट‍िविटी होती हैं और उनमें म्यूजिक और आर्ट का सेंस अच्छा होता है. उस शोध में आगे कहा गया कि, आम तौर पर 40% लोग अपने बाएं कान का, 30% लोग बाईं आंख का, और 20 फीसदी लोग बाएं पैर का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन जब बात आती है हाथ की, तो दुनियाभर में सिर्फ10 फीसदी लोग ही बाएं हाथ का इस्तेमाल लिखने-पढ़ने से लेकर खाने तक सभी जरूरी कामों में करते हैं.

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मेडिकल साइंस के शोध से जुड़े लोग और मनोवैज्ञानिक आज भी ये पता लगाने की कोशिश में हैं कि हमारे डीएनए का कौन सा हिस्सा इस बात के लिए उकसाता है कि हम दाएं या बाएं हाथ का इस्तेमाल ज्यादा करें. लेकिन जवाब आज भी किसी के पास नहीं है. बहरहाल बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले अगर समझदार और रचनात्मक होते हैं, तो फिर उनकी तादाद कम क्यों है? ये आज भी एक पहेली ही बना हुआ है. इसका जवाब तलाशने के लिए तमाम शोध अभी तलक जारी हैं. मनोचिकित्सक कहते हैं कि जिन पेरेंट्स के बच्चे लेफ्ट हैंडेड हैं, उन्हें उनकी परवरिश को लेकर थोड़ा सतर्क रहना चाहिए.

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लेफ्ट हैंड यूज करने को लेकर उन्हें किसी भी तरह का पॉजिट‍िव या नेगेट‍िव अंधविश्वास नहीं पालना चाहिए. मसलन कुछ लोग लेफ्टी बच्चों को ज्यादा होनहार बताते हैं, ऐसे में बच्चों से ज्यादा अपेक्षा नहीं करना चाहिए. बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वालों के साथ ये मिथक जुड़े हैं कि उन्हें डिस्लेक्सिया और ऑटिज्म जैसी बीमारियां जल्दी होती हैं. कुछ लोगों का कहना है जो लोग इस तरह की बातें फैलाते हैं वो दरअसल भेदभाव का नजरिया रखते हैं. जबकि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के कई राष्ट्रपति लेफ्टी हुए हैं, जिनमें इस तरह की कोई समस्या नहीं देखी गई.



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First Published : 17 Aug 2021, 06:34:05 PM

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