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lekhaka-Gajendra sharma
नई दिल्ली, 11 फरवरी। भावी दंपती का वैवाहिक जीवन सुखमय हों, आपसी प्रेम, सम्मान और संतुष्टि हो तथा उत्तम संतान की प्राप्ति हो, ऐसी अनेक बातों को ध्यान में रखते हुए भारत में विवाह पूर्व भावी दंपती की जन्मकुंडली मिलाने की परंपरा है। विवाह से पूर्व कुंडली मिलाने की परंपरा पूर्णत: वैज्ञानिक और सूक्ष्म गणना पर आधारित है जिसे आजकल के वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं।
आइए जानते हैं कुंडली मिलाने के कुछ सूत्र जिन्हें देखकर भावी दंपती के वैवाहिक जीवन का सटीक आंकलन किया जा सकता है।
जरूरी है सौभाग्य विचार
लड़के की कुंडली में लग्न और शुक्र तथा लड़की की कुंडली में लग्न व चंद्रमा से 1, 4, 7, 8, 12वें स्थानों में पापग्रहों का विचार किया जाता है। लड़की का 7वां और 8वां स्थान विशेष रूप से देखना चाहिए। सप्तम में शुभग्रह हों तथा सप्तमेश शुभग्रहों से युत या दृष्ट हो तो सौभाग्य अच्छा होता है। अष्टम स्थान में शनि या मंगल का होना सौभाग्य को बिगाड़ता है। अष्टमेश स्वयं पापी हो या पाप ग्रहों से दृष्ट-युत हो तो सौभाग्य को खराब करता है। सौभाग्य का विचार वर-वधू दोनों की कुंडलियों में करना चाहिए।
इन नियमों का भी ध्यान रखें
- लड़के के सप्तम स्थान का स्वामी जिस राशि में हो वही राशि लड़की की हो तो दांपत्य जीवन सुखमय होता है।
- यदि लड़की की राशि लड़के के सप्तमेश का उच्च स्थान हो तो दांपत्य जीवन प्रेमपूर्ण रहता है। संतान सुख उत्तम होता है।
- लड़के के सप्तमेश का नीच स्थान यदि लड़की की राशि हो तो भी वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
- लड़के का शुक्र जिस राशि में हो वही राशि लड़की की हो तो विवाह कल्याणकारी होता है।
- लड़के की सप्तमांश राशि यदि लड़की की राशि हो तो दांपत्य जीवन सुखकारी होता है।
- लड़के का लग्नेश जिस राशि में हो वही राशि लड़की की हो या लड़के के चंद्र लग्न से सप्तम स्थान में जो राशि हो वही राशि लड़की की हो तो दांपत्य जीवन प्रेमपूर्वक व्यतीत होता है।
- लड़के की राशि से सप्तम स्थान पर जिन जिन ग्रहों की दृष्टि हो और वे ग्रह जिन जिन राशियों में बैठे हों उन राशियों में से कोई राशि यदि लड़की की हो तो दंपती में अटूट प्रेम रहता है।
- जिन लड़कियों की जन्मराशि वृषभ, सिंह, कन्या या वृश्चिक होती है, उन्हें कम संतान उत्पन्न होती है।
- यदि लड़के की जन्मकुंडली में छठे और आठवें स्थान की राशि लड़की की जन्मराशि हो तो दंपती में कलह होता है।
English summary
Kundali matching has been an essential part of Hindu marriages since ancient times. All customs and traditions have evolved with time.
Story first published: Saturday, February 12, 2022, 8:00 [IST]