Astrology
lekhaka-Gajendra sharma
नई दिल्ली, 28 जनवरी। प्रत्येक मनुष्य की जन्मकुंडली में कोई न कोई ग्रह पीड़ाकारक होता है। जो ग्रह पीड़ाकारक होता है मनुष्य के जीवन में उसी ग्रह से संबंधित कठिनाइयां आती हैं। कौन सा ग्रह पीड़ा दे रहा है यह कुंडली देखकर कोई भी विद्वान ज्योतिषी बता देता है और फिर वह उस ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए उससे संबंधित वस्तुओं का दान करवाता है और उस ग्रह के मंत्रों का जाप करवाता है।
आइए जानते हैं किस ग्रह की शांति के लिए किन वस्तुओं का दान करना चाहिए और उसके निमित्त कितने मंत्रों का जाप करना चाहिए।
सूर्य
सूर्य की पीड़ा शांत करने के लिए माणिक्य, गेहूं, गुड़, बछड़े वाली गाय, कमल पुष्प, नूतन गृह, लाल चंदन, लाल वस्त्र, सुवर्ण, तांबा, केसर, मूंगा दान करना चाहिए। इसके लिए सात हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं ह्रां ह्रीं ह्रूं स: सूर्याय स्वाहा: ।
चंद्र
वंशपात्र, चावल, श्वेत वस्त्र, श्वेत चंदन, चीनी, रजत, वृषभ, घृत, शंख, दधि, मोती, कपूर का दान करना चाहिए। इसके लिए 11 हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं श्रां श्रीं श्रूं स: चंद्राय स्वाहा: ।
मंगल
विदु्रम, मसूर, द्विदल, गोधूम, रक्त वृषभ, गुड़, रक्त चंदन, रक्त वस्त्र, रक्त पुष्प, सुवर्ण, ताम्र, केशर, कस्तुरी का दान मंगल की पीड़ा को शांत करता है। इसके लिए 10 हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं क्रां क्रीं क्रूं स: भौमाय स्वाहा: ।
बुध
बुध की पीड़ा शांत करने के लिए कांस्य पात्र, हरित वस्त्र, गजदंत, घृत, पन्ना, सुवर्ण, सर्वपुष्प, रत्न, कपूर, शंख, अनेक फल, षटरस भोजन का दान करना चाहिए। इसके लिए नौ हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं ब्रां ब्रीं ब्रूं स: बुधाय स्वाहा: ।
गुरु
पीत धान्य, पीत वस्त्र, स्वर्ण, घृत, पीत पुष्प, पीत फल, पुखराज, हरिद्रा, अश्व, पुस्तक, शहद, लवण, शर्करा, भूमि, छत्र का दान करना चाहिए। इसके लिए 19 हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं ज्ञां ज्ञीं ज्ञूं स: जीवाय स्वाहा: ।
शुक्र
श्वेत चावल, श्वेत चंदन, श्वेत वस्त्र, अनेक रंगों के वस्त्र, श्वेत पुष्प, रजत, हीरा, घृत, श्वेत अश्व, दधि, सुगंध द्रव्य, शर्करा का दान उत्तम रहता है। इसके लिए 16 हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं आं ई ऊं स: शुक्राय स्वाहा: ।
देश में अनेक स्थानों पर होती है कालसर्प दोष की शांति
शनि
माषान्न तैल, नीलम, तिल, काले वस्त्र, कुलथी, लोहा, महिषी, कृष्ण धेनु, कृष्ण पुष्प, सुवर्ण का दान करने से शनि की पीड़ा शांत होती है। इसके लिए 23 हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं खां खीं खूं स: मंदाय स्वाहा: ।
राहु
हेमनाग, सप्त धान्य, नील वस्त्र, गोमेद, कृष्ण पुष्प, खड्ग, तिल, तेल, लोहा, शूर्प, कंबल, ताम्रपात्र, सुवर्ण का दान राहु की पीड़ा को शांत करता है। इसके लिए 18 हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं भ्रां भ्रीं भ्रूं स: राहवे स्वाहा: ।
केतु
केतु को प्रसन्न करने के लिए उड़द, कंबल, कस्तुरी, वैदूर्यमणि, कृष्ण पुष्प, तिल, तेल, रत्न, सुवर्ण, लोहा, शस्त्र, सप्तधान्य का दान करना चाहिए। इसके लिए 17 हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं क्लां क्लीं क्यूं स: केतवे स्वाहा: ।
English summary
Every Kundali is facing Problem, If You have pain so what to donate, what is mantra, read everything about it.