Karnatka: कर्नाटक सरकार के धर्मांतरण विरोधी नए प्रस्ताव के अनुसार, अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय का कोई व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन करता है तो उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
नई दिल्ली
Updated: December 14, 2021 12:25:08 pm
कर्नाटक सरकार एक ऐसा प्रस्ताव लेकर आ रही है जिसके लागू होने के बाद धर्मांतरण कर चुके अनुसूचित जाति के समुदाय को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा। धर्म बदल चुके व्यक्ति को सरकार उसी धर्म से पहचानेगी। वहीं, इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है कि धर्म बदल चुके व्यक्ति को अल्पसंख्यत समुदाय को मिलने वाला लाभ मिलेगा या नहीं।
क्या कहा कर्नाटक सरकार ने
राज्य के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जे.सी. मधुस्वामी के अनुसार, यदि अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय का कोई व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन करता है तो उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, अनुसूचित जनजातियों को धर्मांतरण करने के बाद भी आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा क्योंकि वो जाति नहीं, जनजाति हैं। इसके साथ ही धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को सरकार उसी धर्म से पहचानेगी जिसे उसने अपनाया है।
हालांकि, धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को अल्पसंख्यक समुदाय को मिलने वाला लाभ दिया जायेगा या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं की गई है। वहीं, जबरन धर्म परिवर्तन करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने की बात भी इस प्रस्ताव में कही गई है।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से की बातचीत
मुख्यमंत्री (Chief Minister) बसवराज बोम्मई ने बेलगावी में मीडिया (Media) से बातचीत में कहा, सोमवार से 10 दिवसीय विधायिका सत्र शुरू होगा। इस दौरान धर्मांतरण विरोधी इस बिल को मौजूदा विधानसभा में पेश किया जायेगा। ये प्रस्तावित कानून केवल जबरन धर्मांतरण को प्रतिबंधित करेगा, और अपनी मर्जी से धर्मांतरण करने वालों पर कोई एक्शन नहीं लिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि फिलहाल कानून विभाग इसका अध्ययन कर रहा है। इसे विधानसभा सत्र में राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद ही पेश किया जाएगा।
वहीं, विपक्ष की संभावित प्रतिक्रिया पर कर्नाटक के सीएम (Karnatka CM) ने कहा कि हर मुद्दे पर कोई समर्थन में होता है कोई विरोध में और जायज भी है। सरकार बहस के बाद ही इस प्रस्ताव को जनहित में लागू करेगी। इसे पेश करने से पहले इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक भावना आहत न हो। वहीं, कर्नाटक (Karnataka) कांग्रेस ने इसे एक बड़ा राजनीतिक दांव बताया है।
केंद्र सरकार का राज्य सरकारों को चेतावनी
गौरतलब है कि इसी वर्ष अगस्त माह में केंद्र सरकार ने मुस्लिम तुष्टीकरण करने वाली सरकारों को चेताया था। आंध्र प्रदेश की सरकार जब धर्म बदल चुके लोगों को केंद्र की योजनाओं का लाभ देने की योजना बना रही थी, तब केंद्र ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था। केंद्र सरकार ने कहा था कि जिन लोगों ने अपना धर्म बदल लिया है उन्हें अनुसूचित जातियों को मिलने वाला न कोई लाभ मिलेगा और न ही आरक्षण।
पहले भी हुई है ऐसी घोषणा
बता दें कि इससे पहले फरवरी 2021 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा था कि धर्म परिवर्तन कर इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाने वाले दलित अनुसूचित जाति के लोग आरक्षित सीटों से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि ऐसे लोग अनुसूचित जाति को मिलने वाले आरक्षण का लाभ भी नहीं उठा सकते हैं।
अन्य राज्य भी ले चुके हैं जबरन धर्मांतरण के खिलाफ एक्शन
देशभर में जबरन धर्मांतरण के मामलों को देखते हुए गुजरात, हिमाचल प्रदेश और झारखंड जैसे कई राज्यों में पहले ही कानून बनाए जा चुके हैं।
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