Friday, April 22, 2022
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Kalashtami Puja Vidhi: कब मनाई जाएगी कालाष्टमी जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त


कब मनाई जाएगी कालाष्टमी जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
– फोटो : google

कब मनाई जाएगी कालाष्टमी जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी मनाई जाती है। यह दिन भगवान कालभैरव की पूजा के लिए समर्पित है। इसलिए ऐसे कालभैरव अष्टमी और भैरव अष्टमी भी कहते हैं। यह साल में 12 बार मनाई जाती है। कहते हैं भगवान शंकर के क्रोध में आने के कारण भगवान कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी। इन्हें भगवान शिव का पांचवा अवतार माना जाता है। कई जगह यह भी उल्लेख मिलता है कि भगवान शंकर ने राजा दक्ष प्रजापति को दंड देने के लिए यह रूप धारण किया था। आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि कालाष्टमी कब मनाई जाएगी, भगवान कालभैरव की पूजा से क्या लाभ प्राप्त होते हैं और उनकी पूजा किस विधि अनुसार करनी चाहिए।

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हिंदू पंचांग के दूसरे माह, वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 23 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ रही है। इसलिए यह व्रत 23 तारीख को रखा जाएगा। अष्टमी तिथि 23 अप्रैल की सुबह 6:27 मिनट से आरंभ होकर 24 अप्रैल रविवार की सुबह 4:29 मिनट तक रहेंगी।

भगवान काल भैरव के भक्तों के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। भगवान कालभैरव के भक्त हर माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को पूरी विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत कर भगवान कालभैरव की पूजा अर्चना करते हैं। भगवान अपने सभी भक्तों की मुसीबत में सहायता करते हैं और उनके सभी कार्यों को सिद्ध करते हैं। कहते हैं कि भगवान कालभैरव की पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

यदि आप भी करना चाहते हैं भगवान कालभैरव को प्रसन्न तो जान लें पूजा विधि

जो लोग कल के दिन व्रत रखना चाहते हैं वह सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान कालभैरव को उनकी प्रिय वस्तु चावल, गुलाब का पुष्प नारियल, चंदन, दूध और मेवा अर्पित करें। भगवान कालभैरव की पूजा में भगवान शिव को समर्पित मंत्रों का जप होता है इसलिए आप भगवान शिव को समर्पित किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। सभी देवी देवताओं की पूजा में घी का दीपक जलाया जाता है परंतु ध्यान रखें भगवान कालभैरव की पूजा में सरसों के तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाई जाती है।  

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उसके बाद पूरे दिन उपवास रखें और उपवास के दौरान आपको ब्रह्मचार्य का पालन करना है किसी भी प्रकार की नशीली पदार्थ जैसे शराब, तम्बाकू या मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना है। इसके बाद रात के समय चन्द्रमा को जल देकर अपना उपवास खोलें। इस प्रकार पूजा करने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों पर जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।

कुत्तों को भगवान भैरव का रूप माना जाता है। कालाष्टमी के दिन कुत्तों को मीठी रोटी या कच्चा दूध पिलाने से भगवान भैरव की कृपा मिलती है। संभव हो तो इस दिन अपने आसपास  मौजूद कुत्तों को इन चीजों का सेवन कराएं।

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