Saturday, April 2, 2022
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Kailash Parvat: शिव का निवास स्थान है कैलाश पर्वत, जानें क्यों नहीं कर सकते इसकी चढ़ाई।


शिव का निवास स्थान है कैलाश पर्वत, जानें क्यों नहीं कर सकते इसकी चढ़ाई।
– फोटो : google

शिव का निवास स्थान है कैलाश पर्वत, जानें क्यों नहीं कर सकते इसकी चढ़ाई।

तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत यानी कैलास उल्लेख कई हिंदू ग्रंथों में मिलता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है। हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को पवित्र माना जाता है। धर्म के अनुयायी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर आते हैं और पर्वत की परिक्रमा करते हैं। वैसे कैलाश पर्वत अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। लोगों का मानना है कि यहां कई चमत्कार होते रहते हैं। कोई भी व्यक्ति अभी तक इस पर्वत की चढ़ाई नहीं कर पाया है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव आज भी कैलाश पर्वत पर अपने परिवार के साथ निवास करते हैं। उनके साथ कई देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों का भी ये निवास स्थान है। यहां कोई आम इंसान नहीं जा सकता है। कैलाश पर्वत पर चढ़ने के लिए खास सिद्धि की जरूरत होती है। ऐसा इंसान जिसने कभी पाप नहीं किया हो वो ही इस पर्वत पर जिंदा चढ़ सकता है। कई पर्वतारोहियों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की लेकिन वे नाकाम रहे। 

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गूंजती है डमरू और ऊँ की आवाज।

स्थानीय लोगों के मुताबिक कैलाश पर्वत के आसपास डमरू और ऊँ की आवाज सुनाई देती है। यहां आने वाले दर्शनार्थी और पर्यटक भी ये आवाज सुनते हैं। ये आवाजें कहां से आती हैं, अभी तक इसका स्रोत नहीं पता चल पाया है। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि पहाड़ पर मौजूद बर्फ से हवा के टकराने से ये ध्वनि उत्पन्न होती है। 

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कैलाश पर्वत पर अलौकिक शक्ति का वास है। यहां पुण्य आत्माएं रहती हैं। इसे स्वर्ग का द्वार भी कहा जाता है। कई तपस्वी आज भी यहां तप करते हैं, उन्हें खलल न पड़े इसलिए कोई व्यक्ति ऊपर नहीं जा सकता। अगर कोई शख्स ऊपर चढ़ने की कोशिश भी करता है, तो कोई न कोई अड़चन जरूर आ जाती है। या फिर उसकी मौत हो जाती है। 

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 बौद्ध और जैन धर्म का भी पवित्र स्थल है कैलाश पर्वत।

हिंदुओं के अलावा बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायी भी इस जगह को पवित्र मानते हैं। जैन धर्म में इस क्षेत्र को अष्टापद कहा गया है। यहां से प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव मोक्ष गए थे। वहीं, बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे बुद्ध का निवास स्थान मानते हैं। बुद्ध के डेमचौक रूप को कैलाश पर्वत से ही निर्वाण मिला था। कैलाश पर्वत की धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए चीनी सरकार ने इस पर चढ़ने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।

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