Friday, March 25, 2022
Homeभविष्यJyotish Shastra: व्यवसायी भगवान श्री कृष्ण के किस रूप को बनाते है...

Jyotish Shastra: व्यवसायी भगवान श्री कृष्ण के किस रूप को बनाते है अपना साझेदार


व्यवसायी भगवान श्री कृष्ण के किस रूप को बनाते है अपना साझेदार
– फोटो : google

व्यवसायी भगवान श्री कृष्ण के किस रूप को बनाते है अपना साझेदार

भगवान श्रीकृष्ण के भक्त उनकी अनेक रूपों में पूजा करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का एक रूप लड्डू गोपाल है तो वही एक रूप ऐसा भी है जिसे व्यापारी अपना पार्टनर बनाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के इस रूप को व्यापारी अपने व्यापार में हिस्सेदारी देते हैं। आज हम आपको भगवान श्रीकृष्ण के इसी रूप के बारे में बताएंगे। भगवान श्रीकृष्ण का यह रूप किस नाम से जाना जाता है। साथ ही इससे जुड़ी क्या मान्यताएँ हैं।

माँ मीरा भगवान श्रीकृष्ण की कितनी बड़ी भक्त थी यह तो सभी जानते हैं। उन्हें भगवान श्रीकृष्ण मैं इतना विश्वास था कि उन्होंने जहर का प्याला भी पी लिया था और भगवान की भी माया देखे वह प्याला पीने के बाद भी मीरा को कुछ नहीं हुआ। मीरा भगवान श्रीकृष्ण को गिरधर गोपाल कहती थी। वह श्री कृष्ण के सांवलिया सेठ के रूप की पूजा करती थी। मीरा बाई संतों की टोली के साथ भ्रमण करती रहती थी और उनकी टोली में भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियां रहती थी। उनकी टोली में दया राम नाम के एक संत थ। जिनके पास सांवलिया सेठ की मूर्तियों रहती थी।

अष्टमी पर माता वैष्णों को चढ़ाएं भेंट, प्रसाद पूरी होगी हर मुराद 

 पौराणिक कथाओं से पता चलता है कि एक बार मेवाड़ के मंदिरों में तोड़फोड़ करने के लिए औरंगजेब की सेना पहुंची थी। उसकी सेना को मूर्तियों के बारे में पता चला था जिन्हें वह वहाँ ढूँढने पहुंची थी। जब संत दयाराम को इस बात की जानकारी हुई थी कि मुगल सेना उन मूर्तियों को लूटने आ रही है तो उन्होंने सभी मूर्तियों को बागूंड भादसोड़ा गांव की छापर में एक वट वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर दबा दिया था।

एक समय भोलाराम गुर्जर नाम के व्यक्ति जो कि मंडफिया गांव में रहता था। उसे सपना आया था कि भादसोड़ा बागूंड गांव की सीमा के छापर में भगवान की चार मूर्तियां भूमि के नीचे दबी हुई है। जब उसके सपने में बताई जगह पर खुदाई की गई तो वहाँ से चार बड़ी मूर्तियाँ मिली। जिसमें से सबसे बड़ी मूर्ति भादसोड़ा गांव ले जाई गई। उस समय भादसोड़ा गांव में बहुत प्रसिद्ध संत रहते थे। जिनके निर्देशन मे मेवाड़ के राजपरिवार के भींडर ठिकाने की ओर से सांवलिया सेठ का मंदिर बनवाया गया था। यह मंदिर आज सांवलिया सेठ प्राचीन मंदिर के नाम से जाना जाता है।

 जहाँ से यह चारों मूर्ति प्रकट हुई थी उस स्थान पर मंझली मूर्ति की स्थापना की गई और वहाँ प्रकाट्य स्थल मंदिर बनाया गया। जो आज भी भगवान या फिर कहे सेठ सांवलिया के भक्तों के लिए खास अहमियत रखता है,। जो सबसे छोटी मूर्ति थी उसे भोलाराम गुर्जर अपने गांव मंडफिया अपने साथ ले गया था। उसने उसे अपने घर के आंगन में स्थापित करके उनकी पूजा आरंभ कर दी। खुदाई के समय चौथी मूर्ति खंडित हो गई थी इसलिए चौथी मूर्ति को पुनः वही स्थापित कर दिया गया था। 

इस नवरात्रि कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन। 

भक्तों की सांवलिया सेठ में इतनी श्रद्धा है कि वह अपनी खेती, संपत्ति और कारोबार में उन्हें हिस्सेदारी देते हैं। इतना ही नहीं उनके भक्त अपनी हर माह की कमाई में से एक भाग इकट्ठा करके सांवलिया सेठ के दरबार में नियमित रूप से चढ़ाने के लिए जाते हैं। भक्तों का मानना है कि सांवलिया सेठ को अपने व्यापार में साझीदार बना के उनकी व्यापार जगत में ख्याति बढ़ती है और साथ ही उनके व्यापार में समृद्धि आती है।

 भगवान श्रीकृष्ण के भक्त नरसी मेहता उन्हें अपने बेटे के रूप में देखते थे। भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के बीच नानीबाई का मायरा काफी प्रसिद्ध है। कहते है ऐसा मायरा कभी किसी ने नहीं देखा था और ना ही देखा है। नानीबाई का मायरा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं सांवलिया सेठ का रूप धारण किया था।

अधिक जानकारी के लिए, हमसे instagram पर जुड़ें ।

अधिक जानकारी के लिए आप Myjyotish के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।





Source link

Previous articleA PERFECT ENEMY 2021 explained in hindi | Psychological mystery thriller movie explained in hindi
Next articleMysterious Alien Attack In Doraemon New Special Episode | Doraemon Birthday Special Mystery Episode
RELATED ARTICLES

Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि में माँ अम्बे किन राशियों पर बरसा रही है विशेष कृपा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular