Friday, March 25, 2022
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Jyotish shastra: जानें पान, तुलसी और केले सहित अन्य 10 शुभ पत्ते, जिनका महत्त्व है हिंदू धर्म में। 


जानें पान, तुलसी और केले सहित अन्य 10 शुभ पत्ते, जिनका महत्त्व है हिंदू धर्म में। 
– फोटो : google

जानें पान, तुलसी और केले सहित अन्य 10 शुभ पत्ते, जिनका महत्त्व है हिंदू धर्म में। 

 

पेड़, पौधे, वृक्ष, फल, फूल पत्तों का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना गया है। किसी भी देवी या देवता की पूजा में प्रयोग किया जाता है ।जिस तरह मसालों में कढ़ी पत्ती और तेजपत आदि का महत्व है उसी तरह पूजा में या आयुर्वेद में तुलसी , पान ,आम,अशोक आदि के पत्तों का महत्व है। 

तो आइए जानते हैं 10 शुभ पत्तों के बारे में संक्षिप्त जानकारी।

1. तुलसी पत्ता: भगवान विष्णु को सबसे प्रिय है तुलसी का पत्ता। भगवान को जब भोग लगाते हैं या उन्हें जल अर्पित करते हैं तो उसमें तुलसी का एक पत्ता रखना जरूरी होता है। तुलसी का पत्ता रहने से किसी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। तुलसी के पत्ते को शाम को नहीं तोड़ते और किसी रजस्वला स्त्री की उस पर छांव भी नहीं पड़ना चाहिए। दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है। तांबे के लोटे में एक तुलसी का पत्ता डालकर ही रखना चाहिए। तांबा और तुलसी दोनों ही पानी को शुद्ध करने की क्षमता रखते हैं।

2. बिल्वपत्र: हिंदू धर्म में बिल अथवा बेल पत्र भगवान शिव की आराधना का मुख्य अंग है। कहते हैं शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। चतुर्थी ,अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी ,अमावस्या और किसी माह की सक्रांति को बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बिल्वपत्र का सेवन ,त्रिदोष यानी वात(वायु), पित्त(ताप) ,कफ(शीत) व पाचन क्रिया के दोषों से पैदा बीमारियों से रक्षा करता है। यह त्वचा रोग और डायबिटीज के बुरे प्रभाव पड़ने से भी रोकता है व तन के साथ मन को भी चुस्त-दुरुस्त रखता है।

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3. पान का पत्ता: पान को संस्कृत में तांबूल कहते हैं। इसका उपयोग पूजा में किया जाता है। दक्षिण भारत में तो पान के पत्ते की बीच पान का बीज एवं साथ ही ₹1 का सिक्का रखकर भगवान को चढ़ाया जाता है ,जबकि उत्तर भारत में पूजा की सुपारी के साथ ₹1 का सिक्का चढ़ाया जाता है ।कलश स्थापना में आम और पान के पत्तों का उपयोग होता है। प्राचीन काल में पान का इस्तेमाल रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता था ।इसे खाने से भीतर कहीं बह रहा खून भी रुक जाता है। दूध के साथ पानी का रस लिया जाए, तो पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है।

4. केले के पत्ते: केले का पत्ता हर धार्मिक कार्य में इस्तेमाल किया जाता रहा है। केले का पेड़ काफी पवित्र माना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है। केले के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है ।माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है ।केले  रोचक, मधुर ,शक्तिशाली, वीर्य व मांस बढ़ाने वाला ,नेत्र दोष में हितकारी है।

5. आम के पत्ते: अक्सर मांगलिक कार्यों में आम के पत्तों का उपयोग मंडप ,कलश आदि सजाने की कार्यों में किया जाता है। इसके पत्तों से द्वार ,दीवार  आदि स्थानों को भी सजाया जाता है। तोरण, बांस के खंभे आदि में भी आम की पत्तियां लगाने की परंपरा है। घर के मुख्य द्वार पर आम की पत्तियां लटकाने से घर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है।

6. पीपल के पत्ते: पीपल के पत्तों का भी हिंदू धर्म में खास महत्व है। जय श्री राम लिखकर पीपल के पत्तों की माला हनुमान जी को पहनाने से वे प्रसन्न हो जाते हैं ।पीपल के पत्ते की और  भी कोई उपयोग हैं।

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7. आंकड़े के पत्ते: इन पत्तों पर श्री राम लिखकर हनुमानजी को अर्पित किया जाता है। शिव जी को यह पत्ते ऊं लिखकर चढ़ाने से धन की कभी कमी नहीं होती है। घाव में इन पत्तों का प्रयोग किया जाता है।

8. पाकड़ या प्लक्ष के पत्ते: जितनी लंबी उम्र होगी उतनी अधिक ऑक्सीजन देता पाकड़ का पेड़। इसे घर के आसपास लगाना बहुत शुभ होता है। इसके पत्तों का पूजा और मांगलिक कार्य में उपयोग होता है।

9. अशोक के पत्ते: अशोक का शाब्दिक अर्थ होता है किसी भी प्रकार का शोक ना होना। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है ।माना जाता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोको से मुक्ति मिल जाती है।

10. गूलर के पत्ते: गूलर वृक्ष को शुक्र का आधिपत्य माना गया है। इस वृक्ष के फल, पत्ते, झड़ आदि से अनेक रोगों का इलाज तो होता ही है ,इनसे ग्रह जनित अनेक दोषों का शांत किया जा सकता है। ।मांगलिक कार्यों में इसके पत्तों का उपयोग होता है।

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