अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य और चंद्र ग्रह का योग
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अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य और चंद्र ग्रह का योग
सेहत से जुड़े सभी प्रकार के प्रश्नों का हल ज्योतिष शास्त्र में मौजूद है, कई बार अनेकों उपचार कर लेने के बावजूद भी जब सेहत पर कोई लाभ दिखाई नहीं पड़ता है तो उस समय ज्योतिष इस समस्या से बचने का महत्वपुर्ण विकल्प बन जाता है. जहां अज हर ओर महामारी का प्रभाव सभी को डरा रहा है वहीं यदि ज्योतिष के अनुसार कुछ बातों को समझा जाए तो रोग से बचने और उससे लड़ने की क्षमता का विकास हम अपने भीतर कर पाने में जरुर सक्षम होते हैं. आज के जीवन में लोगों के लिए बीमारियों से प्रभावित होना बहुत आम है, लेकिन इन बीमारियों का जल्द इलाज खोजने में सक्षम होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. भारत में रोगों के उपचार के लिए ज्योतिषीय दृष्टिकोण कई वर्षों से प्रचलित है और जो निस्संदेह लाभदायक भी रहा है. ग्रह आपके भविष्य को आकार देने में एक अभिन्न भूमिका निभाते हैं, प्रत्येक ग्रह का आपके जीवन पर कोई न कोई असर अवश्य पड़ता है. आईये जानते हैं स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के कुछ ज्योतिषीय समाधान :-
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सूर्य का प्रभाव
सूर्य को शरीर और जगत की आत्मा का स्वरुप माना गया है. यह प्रत्येक के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा का स्रोत है और यह ब्रह्मांड की आत्मा भी है. कुंडली में सूर्य की अनुकूल स्थिति हमारी देह पर गहरा असर डालती है क्योंकि आत्मिक चेतना का मजबूत होना ही सभी समस्याओं से मुक्ति का आधार भी बन जाता है. सेहत के लिए सूर्य अनुकूल परिणाम देता है. कहा जाता है कि सूर्य का आपके मस्तिष्क पर सोच पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यदि आपके पास कमजोर सूरज है, तो संभवतः आपको अपनी आंखों, दिल और सिर की समस्या भी परेशान कर सकती है आपके आत्मबल में भी इसके कारण कमी आ सकती है.
कुंडली में सूर्य की स्थिति को उन्नत बनाने के लिए कई तरह के कार्यों को किया जा सकता है. सूर्य के शुभ फलों की प्राप्ति हेतु नियमित रुप से सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत अच्छा माना जाता है. सूर्य व गायत्री यही हमारी प्राण ऊर्जा को व्यस्थित करने में सक्षम बनते हैं और हमें सृष्टि के समक्ष मजबूती प्रदान करते हैं. सूर्य के शुभ फल को पाने के लिए माणिक्य धारण करना भी उत्तम माना जाता है. कमजोर सूर्य के लिए माणिक्य रत्न उत्तममाना जाता है.
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कुंडली में कमजोर चंद्रमा का प्रभाव
जब किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो जाता है या उस पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि पड़ती है, तो उसकी मानसिक शांति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है व्यक्ति की संपूर्ण मानसिकता का आधार चंद्रमा होता है यदि चंद्रमा ही कमजोर हो जाए तो मानसिक दुर्बलता बनी रहती है. वृश्चिक राशि में स्थित होने पर चंद्रमा शक्तिहीन हो जाता है साथ ही कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव और अशुभ ग्रहों के प्रभाव से भी यह कमजोर हो सकता है. कुंडली में अशुभ राहु और केतु का प्रबल प्रभाव चंद्रमा को बुरी तरह से कमजोर कर सकता है और जातक को मानसिक रोग, अनिद्रा और बेचैनी से पीड़ित कर सकता है. इससे जातक को नींद न आने की समस्या हो सकती है. कई बार ऐसी स्थिति से जातकों को चंद्रमा के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
कमजोर चंद्रमा से होने वाली कुछ बीमारियां हृदय और फेफड़े के रोग, आंख के विकार, अनिद्रा, अस्थमा, दस्त, एनीमिया, रक्तस्राव, पानी से संबंधित या कमी के रोग, गुर्दे से संबंधित रोग, मधुमेह, ड्रॉप्सी, एपेंडिसाइटिस, कफ रोग, नाक के रोग, पीलिया, मानसिक रोग इन सभी पर चंद्रमा का असर स्पष्ट रुप से देखने को मिलता है.
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