Saturday, February 12, 2022
Homeलाइफस्टाइलJaya Ekadashi 2022: जया एकादशी पर बन रहा है खास संयोग, जानिए...

Jaya Ekadashi 2022: जया एकादशी पर बन रहा है खास संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि


Image Source : INSTAGRAM/SPIRITUAL_REALITY_WORLD
Jaya Ekadashi 2022 

Highlights

  • जया एकादशी का व्रत 12 फरवरी को रखा जाएगा
  • माघ मास में पड़ने वाली एकादशी का काफी महत्व

माघ शुक्ल पक्ष की उदया तिथि एकादशी को जया एकादशी का व्रत किया जाएगा। माघ शुक्ल पक्ष की यह एकादशी बड़ी ही फलदायी बतायी गई है । एकादशी के दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है, साथ ही श्री लक्ष्मी की पूजा करने से घर की धन-सम्पदा में वृद्धि होती है। 

कहा जाता है  कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत और भय आदि से छुटकारा भी मिलता है । इसलिए इस व्रत का जरूर लगाभ उठाना चाहिए। जानिए एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।

राहु-केतु के प्रकोप से बचाएगा हकीक रत्न, धारण करने से चमक जाएगी किस्मत

जया एकादशी का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ: 11 फरवरी दोपहर 1 बजकर 52 मिनट से शुरू


एकादशी तिथि समाप्त:  12 फरवरी, शनिवार शाम 4 बजकर 27 मिनट तक

पारण का समय- 13 फरवरी, रविवार सुबह 7 बजकर 1 मिनट से लेकर प्रात: 9 बजकर 15 मिनट तक 

इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही शनिवार से लेकर रविवार सुबह सुबह 6 बजकर 38 मिनट  तक आर्द्रा नक्षत्र रहेगा।

 

जया एकादशी पूजा विधि

एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। सबसे पहले घर में भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल पीकर आत्मा शुद्धि करें। फिर रक्षासूत्र बांधे। इसके बाद धूप, दीप, चंदन, फल, तिल, एवं पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूरे दिन व्रत रखें। संभव हो तो रात्रि में भी व्रत रखकर जागरण करें। अगर रात्रि में व्रत संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें जनेऊ व सुपारी देकर विदा करें फिर भोजन करें।इस प्रकार नियमपूर्वक जया एकादशी का व्रत करने से महान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार जो जया एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें पिशाच योनि में जन्म नहीं लेना पड़ता।

Maha Shivratri 2022: कब है महाशिवरात्रि? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जया एकादशी की कथा

भगवान के बताया कि एक बार नंदन वन में उत्सव चल रहा था। इस उत्सव में सभी देवता, सिद्ध संत और दिव्य पुरूष आये थे। इसी दौरान एक कार्यक्रम में गंधर्व गायन कर रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं। इसी सभा में गायन कर रहे माल्यवान नाम के गंधर्व पर नृत्यांगना पुष्पवती मोहित हो गयी। अपने प्रबल आर्कघण के चलते वो सभा की मर्यादा को भूलकर ऐसा नृत्य करने लगी कि माल्यवान उसकी ओर आकर्षित हो जाए। ऐसा ही हुआ और माल्यवान अपनी सुध बुध खो बैठा और गायन की मर्यादा से भटक कर सुर ताल भूल गया। इन दोनों की भूल पर इन्द्र क्रोधित हो गए और दोनों को शाप दे दिया कि वे स्वर्ग से वंचित हो जाएं और पृथ्वी पर अति नीच पिशाच योनि को प्राप्त हों।

शाप के प्रभाव से दोनों पिशाच बन गये और हिमालय पर्वत पर एक वृक्ष पर अत्यंत कष्ट भोगते हुए रहने लगे। एक बार माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन दोनो अत्यंत दु:खी थे जिस के चलते उन्होंने सिर्फ फलाहार किया और उसी रात्रि ठंड के कारण उन दोनों की मृत्यु हो गई। इस तरह अनजाने में जया एकादशी का व्रत हो जाने के कारण दोनों को पिशाच योनि से मुक्ति भी मिल गयी। वे पहले से भी सुन्दर हो गए और पुन: स्वर्ग लोक में स्थान भी मिल गया। जब देवराज इंद्र ने दोनों को वहां देखा तो चकित हो कर उनसे मुक्ति कैसे मिली यह पूछा। तब उन्होंने बताया कि ये भगवान विष्णु की जया एकादशी का प्रभाव है। इन्द्र इससे प्रसन्न हुए और कहा कि वे जगदीश्वर के भक्त हैं इसलिए अब से उनके लिए आदरणीय हैं अत: स्वर्ग में आनन्द पूर्वक विहार करें।





Source link

  • Tags
  • Ekadashi 2022
  • Ekadashi 2022 list
  • Ekadashi fasting
  • ekadashi vrat 2022
  • jaya ekadashi
  • jaya ekadashi 2022
  • jaya ekadashi 2022 date
  • jaya ekadashi history
  • jaya ekadashi importance
  • jaya ekadashi significance
  • Parana
  • Religion Hindi News
  • when is magh shukla ekadashi 2022
  • जया एकादशी 2022
  • जया एकादशी कब है 2022
  • माघ शुक्ल पक्ष जया एकादशी 2022
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular