मर्यादा से जीने का तरीका सिखाते हैं प्रभु श्रीराम।
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मर्यादा से जीने का तरीका सिखाते हैं प्रभु श्रीराम।
अगर आप राम के जीवन पर गौर करें, तो पाएंगे कि वह मुसीबतों का एक अंतहीन सिलसिला था। सबसे पहले उन्हें अपने जीवन में उस राजपाट को छोड़ना पड़ा, जिस पर उस समय की परम्पराओं के मुताबिक उनका अधिकार था। साथ ही, उन्हें चौदह साल वनवास भी झेलना पड़ा। जंगल में उनकी पत्नी का अपहरण कर लिया गया। पत्नी को छुड़ाने के लिए उन्हें अपनी इच्छा के विरुद्ध एक भयानक युद्ध में उतरना पड़ा। उसके बाद जब वह पत्नी को ले कर अपने राज्य में वापस लौटे, तो उन्हें आलोचना सुनने को मिली। इस पर उन्हें अपनी पत्नी को जंगल में ले जाकर छोड़ना पड़ा, जो उनके जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली थी। फिर उन्हें जाने-अनजाने अपने ही बच्चों के खिलाफ जंग लड़नी पड़ी। और अंत में उन्हें हमेशा के लिए अपनी पत्नी से वियोग का दुख झेलना पड़ा।
भारतीय जनमानस में राम का महत्त्व इसलिए नहीं है, क्योंकि उन्होंने जीवन में इतनी मुश्किलें झेलीं, बल्कि उनका महत्त्व इसलिए है, क्योंकि उन्होंने उन तमाम मुश्किलों का सामना बहुत ही सहजता से किया।
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उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहते हैं, क्योंकि अपने सबसे मुश्किल क्षणों में भी उन्होंने खुद को बेहद गरिमापूर्ण बनाए रखा। उस दौरान वे एक बार भी न तो विचलित हुए, न क्रोधित हुए, न उन्होंने किसी को कोसा, न ही घबराए और न ही उत्तेजित हुए। हर स्थिति को उन्होंने बहुत ही संतुलित और मर्यादित तरीके से संभाला। इसलिए जो लोग गरिमापूर्ण जीवन जीना चाहते हैं, और मुक्ति के मार्ग पर चलना चाहते हैं, उन्हें राम की शरण लेनी चाहिए।
राम में यह देख पाने की क्षमता थी कि जीवन में बाहरी हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं। यहां तक कि अपने जीवन में तमाम इंतजाम करने के बावजूद बाहरी हालात विरोधी हो सकते हैं। जैसे घर में सब कुछ ठीक-ठाक हो, पर अगर तूफान आ जाए, तो वह आपसे आपका सब कुछ छीन कर ले जा सकता है। अगर आप सोचते हैं कि ‘मेरे साथ ये सब नहीं होगा’ तो यह मूर्खता है। जीने का विवेकपूर्ण तरीका तो यही होगा कि आप सोचें, ‘अगर मेरे साथ ऐसा होता है, तो मैं इससे विवेक से ही निपटूंगा, मैं संतुलन नहीं खोऊंगा।’
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लोगों ने राम को इसलिए पसंद किया, क्योंकि उन्होंने राम के आचरण में निहित सूझबूझ को समझा। आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले अनेक लोगों के बीच जीवन में किसी त्रासदी की कामना करने का रिवाज अकसर देखा गया है। वे चाहते हैं कि उनके जीवन में कोई ऐसी दुर्घटना हो, ताकि मृत्यु आने से पहले वे अपनी सहने की क्षमता को तौल सकें। जीवन में अभी सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है और आप को पता चले कि जिसे आप हकीकत मान रहे हैं, वो आप के हाथों से छूट रहा है, तो आप का अपने ऊपर से नियंत्रण हटने लगता है। इसलिए लोग त्रासदी की कामना करते हैं।
दरअसल, राम की पूजा इसलिए नहीं की जाती कि हमारी भौतिक इच्छाएं पूरी हो जाएं, मकान बन जाए, प्रमोशन हो जाए, सौदे में लाभ मिल जाए, बल्कि राम की पूजा हम उनसे यह प्रेरणा लेने के लिए करते हैं कि मुश्किल क्षणों का सामना कैसे धैर्यपूर्वक, बिना विचलित हुए, सहजता से किया जाए। राम ने अपने जीवन की परिस्थितियों को सहेजने की काफी कोशिश की, लेकिन वे हमेशा ऐसा कर नहीं सके। उन्होंने कठिन परिस्थतियों में ही अपना जीवन बिताया, जिसमें चीजें लगातार उनके नियंत्रण से बाहर निकलती रहीं, लेकिन इन सबके बीच सबसे महत्त्वपूर्ण यह था कि उन्होंने हमेशा खुद को संयमित और मर्यादित रखा। आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का भी यही सार है।
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