Do’s and Don’ts During IVF Treatment: जो लोग नेचुरल तरीके से संतान प्राप्त नहीं कर पाते हैं, वे आजकल इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) या आईयूआई, सेरोगेसी के जरिए पेरेंट्स बनने का ख्वाब पुरा करते हैं. आईवीएफ की बात करें, तो इसके जरिए आज अधिकतर कपल्स जो नॉर्मल तरीके से कंसीव नहीं कर पाते हैं, वे माता-पिता बन रहे हैं. इसका सक्सेस रेट भी अधिक है. हालांकि, प्रेग्नेंसी चाहे जिस तरीके से भी हो, हर कदम सावधानी से उठाना चाहिए. गर्भधारण (Pregnancy) करने के बाद महिलाओं को अपना ध्यान हर तरीके से करना चाहिए. ना तो अधिक स्ट्रेस लेना चाहिए और ना ही अनहेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए. आइए जानते हैं, जब कोई महिला आईवीएफ तकनीक के जरिए गर्भधारण (Pregnancy through IVF Treatment) करती है, तो उसे किन बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है.
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आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान ध्यान रखने वाली बातें
- शांता आईवीएफ सेंटर (नई दिल्ली) की आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. अनुभा सिंह कहती हैं कि यदि आप आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए मां बनने जा रही हैं, तो सबसे जरूरी है आप अपने डॉक्टर की सलाह को फॉलो करें. इसमें कुछ इंजेक्शन दिए जाते हैं, उन्हें समय पर लेना बेहद जरूरी है.
- कुछ महिलाएं वर्किंग होती हैं. यदि संभव है, तो ट्रीटमेंट के शुरुआती (IVF Treatment and safety tips) दिनों में खासकर जब इंजेक्शन दिए जा रहे हों, तो दो सप्ताह घर में रेस्ट करें. ये हॉर्मोनल इंजेक्शन होते हैं, जिसमें मरीज शारीरिक रूप से आराम या बेहतर महसूस नहीं करता है. ऐसे में प्रॉपर रेस्ट जरूरी है.
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- शरीर को भरपूर रेस्ट देना चाहिए. प्रत्येक दिन 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए.
- जब भ्रूण ट्रांसफर हो जाता है, तो अधिक घूमना-फिरना नहीं चाहिए. ऑफिस नहीं जाना चाहिए. घर का काम भी अधिक नहीं करना चाहिए. सीढ़ियां अधिक चढ़ने से बचना चाहिए.
- भ्रूण ट्रांसफर के बाद 15 दिन में रिजल्ट पॉजिटिव आ जाता है, तो जो दवाएं दो सप्ताह के लिए चल रही थीं, वे तीन महीने तक और चलती हैं. दवाओं का सेवन सही समय पर करना चाहिए. तीन महीने के बाद आयरन, फॉलिक एसिड दी जाती हैं. इनका सेवन जरूर करना चाहिए.
- इसके बाद नॉर्मल प्रेग्नेंसी की तरह आप ऑफिस जा सकती हैं. घर के काम कर सकती हैं.
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- गूगल पर कुछ महिलाएं बहुत अधिक सर्च करती हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए. नेगेटिव सोच नहीं रखनी चाहिए. दिमाग को खाली और शांत रखना चाहिए. पॉजिटिव सोच अपनानी चाहिए. स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए.
- परिवार, हस्बेंड का पूरा सपोर्ट हो. आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान भावनात्मक सपोर्ट बहुत जरूरी है.
- हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है, ताकि गर्भ में पल रहे शिशु का विकास सही से हो सके. उसे भरपूर पोषण मिल सके.
- स्ट्रेस कम लेना चाहिए. खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए. अच्छे-अच्छे ख्याल, विचार मन में लाने चाहिए. दूसरों की कही बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए.
- स्मोकिंग, एल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए. प्रॉपर हेल्दी डाइट लेनी चाहिए.
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