डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप के बिना क्षेत्रीय देशों के साथ मिलकर काम करने के ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के मंत्र को उनके दो प्रमुख लेफ्टिनेंटों द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है।
उनके इन दो प्रमुख लेफ्टिनेंटों या सहयोगियों में विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन और देश की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एसएनएससी) के प्रमुख अली शामखानी शामिल हैं।
बुधवार को अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता के लिए नई दिल्ली में, शामखानी ने अफगानिस्तान के पड़ोसियों के बीच क्षेत्रीय तालमेल और सहयोग का आह्वान किया, क्योंकि दाएश (आईएसआईएस) और तकफीरी जिहादियों की वृद्धि क्षेत्र में शांति के लिए एक वास्तविक खतरा है।
तकफीरी एक कट्टरपंथी मुस्लिम समूह है, जो अन्य मुसलमानों को उनके रीति-रिवाजों को लेकर बहिष्कृत करता है और उन पर धर्मत्याग का आरोप लगाता है।
ईरानी रियर एडमिरल, जो देश के पूर्व रक्षा मंत्री भी हैं, द्वारा उजागर किया गया दूसरा खतरा अफगानिस्तान में सांप्रदायिक हिंसा का पुनरुत्थान है, जिसका अंतत: न कि केवल तत्काल पड़ोस पर, बल्कि पूरे क्षेत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
नई दिल्ली सुरक्षा वार्ता में अपने भाषण की शुरुआत में शामखानी ने कहा, शांति और स्थिरता में मदद करने के लिए भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
काबुल में एक राष्ट्रीय समावेशी सरकार के गठन का आह्रान करते हुए, जिसमें देश के सभी जातीय और धार्मिक समूह शामिल होंगे, शामखानी ने रईसी सरकार की तीन प्रमुख चिंताएं रखीं।
उन्होंने कहा, हमारी पहली चिंता तकफीरी तत्व को कहीं और से अफगानिस्तान में स्थानांतरित करने में कुछ देशों की भागीदारी है। यह अतीत में चल रहा था और खुफिया एजेंसियों द्वारा एकत्र की गई खुफिया जानकारी इंगित करती है कि यह अभी भी जारी है और यह बस यही चीज हमारी चिंताओं को बढ़ा रही है।
नौसेना के दिग्गज ने जोर देकर कहा कि आतंकवादी समूहों से उत्पन्न आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए, उनके वित्तीय चैनलों की पहचान करने और उन्हें तुरंत काटने की जरूरत है।
शामखानी ने भारत सहित क्षेत्र के सात अन्य देशों के सुरक्षा प्रमुखों की बैठक में ईरान की दूसरी बड़ी चिंता अफगानिस्तान में गरीबी और मानवीय संकट के बढ़ने को लेकर जताई।
उन्होंने कहा, यह आतंकवादी समूहों को लड़ाकों की भर्ती के लिए एक बहाना प्रदान करेगा और यह अपने आप में देश को और अधिक अस्थिर करेगा। इस बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे परि²श्य में, अफगान लोगों और विशेष रूप से पड़ोसी देशों को एक बड़ी कीमत चुकानी होगी।
शामखानी ने अफगान शरणार्थियों के संकट और अफगानिस्तान से हो रहे प्रवास पर अपनी तीसरी गंभीर चिंता व्यक्त की। ईरान कई वर्षों से 30 लाख से अधिक अफगान शरणार्थियों की मेजबानी कर रहा है, जिनमें से केवल छह प्रतिशत ही शिविरों में रह रहे हैं।
उन्होंने संबंधित एजेंसियों से तत्काल सहायता की मांग करते हुए कहा, यह उल्लेख करना जरूरी है कि दुर्भाग्य से इन शरणार्थियों की प्रासंगिक लागत और खर्च का 96 प्रतिशत हमारे अपने देश द्वारा वित्त पोषित किया गया है और केवल चार प्रतिशत का भुगतान प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा किया गया है।
ईरान की नई विदेश नीति पर गौर करें तो इब्राहिम रईसी के नेतृत्व में ईरान ने देश के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन्को एक संतुलित, गतिशील और बुद्धिमान विदेश नीति के रूप में संदर्भित किया है, जिसमें मित्रता और भाईचारे का हाथ क्षेत्र के सभी देशों, विशेष रूप से अपने पड़ोसियों तक फैला हुआ है।
पिछले महीने तेहरान में आयोजित अफगानिस्तान और रूस के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों की संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान नई प्राथमिकता पर प्रकाश डाला गया था।
अमीर-अब्दुल्लाहियन ने 5 नवंबर को पुर्तगाली अखबार डायरियो डी नोटिसियास में अपनी राय व्यक्त करते हुए लिखा था, इस नए एजेंडे में, पड़ोसी देशों और एशियाई देशों के साथ संबंध प्राथमिकता हैं, साथ ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक संबंधों के आधार पर क्षेत्र में राजनीतिक और आर्थिक संबंधों में सुधार, जो एक नए गतिशीलता और कनेक्टिविटी के आधार के रूप में काम करेगा।
मंत्री ने आगे लिखते हुए कहा कि यह नया ²ष्टिकोण, गहरे विश्वास को प्रदर्शित करता है कि इस क्षेत्र में हमारी समानताएं हमारे अल्पकालिक मतभेदों और झगड़ों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर संयुक्त प्रयासों का नया दौर इस संबंध में अफगानिस्तान के पड़ोसियों की विशाल और विविध क्षमता को देखते हुए एक महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में काम करेगा।
(यह आलेख इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)
–इंडियानैरेटिव
(आईएएनएस)