;नई दिल्ली. साढ़े आठ साल तक चला अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) का टेस्ट करियर अब दोराहे पर खड़ा है. एक मध्य क्रम के बल्लेबाज के रूप में सफलता की लंबी अवधि के बाद वह इस कैलेंडर वर्ष में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए 12 टेस्ट मैचों की 21 पारियों में कुछ खास रन नहीं बना पाए हैं. स्पष्ट रूप से मुंबई क्रिकेट के कठिन माहौल में पले-बढ़े दाएं हाथ के इस बल्लेबाज का यह एक खराब पैच है, जो राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को चिंता में डाल रहा है. ऐसे में भारत और न्यूजीलैंड (India vs New Zealand) के खिलाफ शुक्रवार (3 दिसंबर) से मुंबई में शुरू हो रहे दूसरे और अंतिम टेस्ट मैच में चयनकर्ता दूसरे विकल्पों पर विचार कर सकते हैं.
अजिंक्य रहाणे ने छह टेस्ट मैचों में भारत का नेतृत्व किया है, जिनमें से चार जीते हैं और दो ड्रॉ किए हैं. उन्होंने विराट कोहली के डिप्टी की भूमिका भी बखूबी निभाई है. कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) और कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) रहाणे की इस स्थिति से कैसे निपटेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा. हालांकि, द्रविड़ को उम्मीद है कि रहाणे अच्छा प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने कानपुर में न्यूजीलैंड (IND vs NZ) के खिलाफ पहले टेस्ट के बाद कहा था कि रहाणे की फॉर्म को लेकर वह परेशान नहीं हैं. 34 साल के रहाणे ने एक बल्लेबाज के रूप में खुद पर से नियंत्रण खोने के संकेत दिखाए हैं. वह इस साल आठ बार सिंगल डिजिट के स्कोर से आगे नहीं बढ़े हैं. उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर ब्रिस्बेन में 37, चेपॉक में इंग्लैंड के खिलाफ 67, साउथेम्प्टन में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में न्यूजीलैंड के खिलाफ 49, लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ 61 और हाल ही में ग्रीन पार्क, कानपुर में समाप्त हुए पहले टेस्ट में न्यूजीलैंड के खिलाफ 35 रन हैं. ये स्कोर उन्हें 49 से अधिक का प्रभावशाली औसत देते हैं, लेकिन वर्ष के लिए उनका अब तक का कुल औसत 19.57 है और यही कारण है कि राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के उन पर विश्वास रखने की उनकी संभावना में बाधा आ सकती है.
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क्या रहाणे को मिलेगा घर में पहला टेस्ट खेलने का मौका?
टेस्ट क्रिकेट में 2013 में डेब्यू करने के बाद से अजिंक्य रहाणे ने अबतक 79 टेस्ट मैच भारत के लिए खेले हैं, लेकिन उन्हें अबतक हमने होम ग्राउंड मुंबई में खेलने का मौका नहीं मिला है. 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ उनके पास यह मौका था, लेकिन उंगली के फ्रैक्चर की वजह वह उस सीरीज से बाहर हो गए थे. अब पांच साल बाद एक बार फिर से उनके पास मौका है, लेकिन पिछले काफी वक्त से बल्ले से उनका खराब प्रदर्शन इसमें बाधा बन सकता है.
मेलबर्न में शतक के बाद परफॉर्म करने में नाकाम रहे रहाणे
अजिंक्य रहाणे ने मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में 36 रन पर आउट होने के तुरंत बाद 112 रनों की शानदार पारी खेलकर कई लोगों का दिल जीत लिया था. कप्तान के रूप में रहाणे ने विशेषज्ञों से प्रशंसा हासिल की, लेकिन मेलबर्न में उनके शानदार काम के बाद बल्ले के साथ खराब फॉर्म ने उनका पीछा किया है. रहाणे ने 79 टेस्ट खेले हैं. उन्होंने 12 शतकों और 24 अर्धशतकों के साथ 4795 रन बनाए हैं. इस दौरान उनका औसत 40 से कम का रहा है. उन्होंने नंबर 5 पर बल्लेबाजी करने का दृढ़ संकल्प दिखाया है. वह 2013 से भारत के मध्य क्रम का एक हिस्सा हैं. विराट कोहली, केएल राहुल और रोहित शर्मा के दक्षिण अफ्रीका में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज और श्रीलंका के खिलाफ घर में टेस्ट सीरीज का हिस्सा होने के साथ चयनकर्ताओं द्वारा मध्य क्रम के विकल्पों को गंभीरता से देखने की पूरी संभावना है. कानपुर में शानदार शुरुआत के बाद श्रेयस अय्यर के रूप में उनके पास पहले से ही एक विकल्प तैयार है.
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‘अजिंक्य रहाणे की मानसिकता रक्षात्मक हो गई है’
एक खिलाड़ी, कप्तान, प्रशासक और चयनकर्ता के रूप में अर्धशतक तक मुंबई क्रिकेट का हिस्सा रहे मिलिंद रेगे ने रहाणे की बल्लेबाजी के विभिन्न पहलुओं को करीब से देखा है. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि वह अब पूरी तरह से रक्षात्मक मानसिकता में चला गए हैं, क्योंकि जब कोई रन बनाने में सक्षम नहीं होता है, वह स्वतंत्र रूप से नहीं खेलने के खांचे में पड़ जाता है. क्रिकेट में अगर आप एक घंटे तक बल्लेबाजी करते हैं तो आपको रन बनाने होते हैं. आपको बोर्ड पर रन बनाने होते हैं. हर बार जब वह बल्लेबाजी करने जाते हैं, तो वह लेंथ को गलत पढ़ रहे होते हैं. ज्यादातर समय वह बोल्ड होते हैं, लेग बिफोर या विकेट पर या स्लिप पर पकड़ा जाता है. इसका क्या मतलब है ? आप लेंथ को नहीं पढ़ पा रहे हैं और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप रक्षात्मक मानसिकता में हैं. पहले आक्रमण करने की मानसिकता होनी चाहिए. यह एक दुष्चक्र है; वह रक्षात्मक मानसिकता में हैं, क्योंकि वह रन नहीं बना रहे हैं. इस साल 21 टेस्ट मैचों में उनका औसत 20 से कम है. यह समय है कि उन्हें एक ब्रेक दिया जाए ताकि वह काफी घरेलू क्रिकेट खेल सकें. उनके पैर अब नहीं चल रहे हैं.”
‘नए हेड कोच वापस ला सकते हैं रहाणे का आत्मविश्वास’
मध्यप्रदेश के कोच चंद्रकांत पंडित ने भी रहाणे का करियर कई सालों से काफी करीब से देखा है. उन्होंने कहा, ”हर बल्लेबाज की तरह रहाणे को भी रन बनाने के लिए उत्सुक होना चाहिए. उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. वह संघर्ष कर रहे हैं, जो चिंता की ओर ले जाता है. मेरा मानना है कि यही कारण है कि रहाणे रन नहीं बना पा रहे हैं. हमने रहाणे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अच्छी पारियां खेलने वाले क्रिकेटर के रूप में विकसित होते देखा है, लेकिन जब करियर लंबे समय तक चलता है तो सीमाएं उजागर हो जाती हैं. जब कोई खिलाड़ी खराब दौर से गुजर रहा होता है, तो उसके पास पेशकश करने के लिए और कुछ नहीं होता है. उन्हें वर्तमान परिस्थितियों से उबरना मुश्किल हो रहा है. और जब कोई खिलाड़ी मानसिक रूप से प्रभावित होता है तो यह और भी मुश्किल हो जाता है. राहुल द्रविड़ नए हेड कोच हैं. हो सकता है कि वह रहाणे का आत्मविश्वास वापस लाने में कामयाब हो जाएं.”
पंडित ने यह भी कहा कि रहाणे को फैसला लेना है. उन्होंने कहा, ”हमने रहाणे को अच्छा खेलते और अच्छे रन बनाते देखा है और हमने हाल के दिनों में उनका फॉर्म भी देखा है. रहाणे को ऐसा फैसला लेना चाहिए जो उनके लिए समझदारी भरा हो. उसका मन उसे बताएगा कि, उसे जो निर्णय लेना है. यह उन पर निर्भर करता है कि क्या ब्रेक लेना है, घरेलू क्रिकेट में रन बनाना है और वापसी करना है.”
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