इस सुपर कंप्यूटर का मकसद IIT रूड़की और इसके आसपास स्थित शैक्षिक संस्थानों की यूजर कम्युनिटी को कंप्यूटनेशनल पावर प्रदान करना है। यह डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी (DST) और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की एक संयुक्त पहल है।
परम गंगा सुपर कंप्यूटर को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (CDAC) ने तैयार किया है। IIT रूड़की ने इसके लिए CDAC के साथ एक MoU पर साइन किए थे। इसके तहत सर्वर के लिए मदरबोर्ड जैसे जरूरी कॉम्पोनेंट्स को आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत तैयार किया जाएगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रेड्डी ने कहा कि IIT रुड़की, NSM के तहत डेवलप इस सुपरकंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके एडवांस्ड रिसर्च करेगा। उन्होंने बताया कि परम गंगा के कई अहम कॉम्पोनेंट्स जैसे- मदरबोर्ड का निर्माण भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत होता है। कार्यक्रम में मौजूद डॉ. दरबारी ने कहा कि भारत में बने कॉम्पोनेंट्स के साथ ‘पेटास्केल सुपरकंप्यूटर’ बनाने के पीछे मूल विचार आत्मानिर्भर भारत का नेतृत्व करना और समस्याओं के समाधान को एकसाथ तेज करना है।
वहीं, बात करें इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) में इंस्टॉल किए गए देश के सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर की, तो यह किसी अकैडमिक इंस्टिट्यूट का सबसे बड़ा सुपर कंप्यूटर है। IISc के परम प्रवेग में 3.3 पेटाफ्लॉप्स की सुपरकंप्यूटिंग कैपिसिटी है। 1 पेटाफ्लॉप, एक करोड़ शंख (quadrillion) ऑपरेशन प्रति सेकेंड के बराबर होता है। परम प्रवेग के कई कॉम्पोनेंट भारत में मैन्युफैक्चर और असेंबल किए गए हैं। IISc के अनुसार, इस सुपर कंप्यूटर से विभिन्न रिसर्च और शैक्षिक गतिविधियों को ताकत मिलने की उम्मीद है।
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