होली पर करें इन 10 देवताओं को प्रसन्न, जानिए कैसे।
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होली पर करें इन 10 देवताओं को प्रसन्न, जानिए कैसे।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि यानी 17 मार्च 2022 गुरुवार की रात्रि को होलिका दहन होगा। होलिका दहन के दिन और उसके बाद धुलेंडी एवम रंगपंचमी के दिन आप 10 देवताओं की पूजा करेंगे तो आप पर इनकी विशेष कृपा बनी रहेगी। तो आइए जानते हैं कि किन 10 देवी देवताओं की होती है पूजा।
1. विष्णु पूजा:
होलिका और प्रह्लाद के साथ हीं भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। खासकर, दूसरे दिन विष्णु पूजा की जाती है।कहते हैं कि त्रेतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धुली वंदन किया था। इसके याद में धुलेंडी मनाई जाती है।
2. शिव पूजा:
होली का त्योहार भगवान शिव से भी जुड़ा हुआ है। भगवान शिव ने इसी दिन कामदेव को भस्म करने के बाद देवी रति को यह वरदान दिया था कि तुम्हारा पति श्री कृष्ण के यहां प्रदुम्न के रूप में जन्म लेगा।
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3. नरसिंह भगवान पूजा:
होली के दिनों में विष्णु के अवतार भगवना नृसिंह की पूजा का भी प्रचलन है क्योंकि श्रीहरि विष्णु ने हीं होलिका दहन के बाद नरसिंह रूप धारण करके हिरणकश्यप का वध किया और भक्त प्रह्लाद की जान बचाई। इसी दिन उनके चित्र या मूर्ति की पूजा करते हैं।
4. कामदेव:
यदि आप वैवाहिक जीवन में सुख शांति और प्यार चाहते हैं तो रति के साथ कामदेव की भी पूजा करें। इसके लिए कामदेव की पूजा करते हैं।
5. कृष्ण पूजा:
होली का त्योहार श्री कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। इसे ब्रज में “फाग उत्सव”के रूप में मनाया जाता है। श्री कृष्ण ने रंगपंचमी के दिन श्रीराधा पर रंग डाला था। इसी के याद में रंगपंचमी मनाई जाती है। इसी दिन श्री कृष्ण की भी पूजा करते हैं।
6. श्री राधा:
श्री राधा के बरसाने में होली की धूम फाल्गुन मास लगते हीं प्रारंभ हो जाती है। यहां पर 45 दिन का होली उत्सव रहता है। इसी दौरान श्री राधा रानी का विशेष श्रृंगार होने के साथ हीं उनकी पूजा होती है।
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7. श्रीपृथु पूजा:
होली के दिन हीं राजा पृथु ने राज्य के बच्चों को बचाने के लिए राक्षसी ढूंढी को लकड़ी जलाकर आग से मार दिया था। राजा पृथु को विष्णु का अंशावतार भी माना जाता है। इसलिए इनकी भी पूजा होती है।
8.श्री हनुमान पूजा:
इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं।
9. लक्ष्मी पूजा:
होली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा श्री हरि विष्णु के साथ की जाती है। इससे घर में धन समृद्धि बनी रहती है।
10.अग्नि एवम संपदा देवी की पूजा।
होलिका दहन के दिन होलिका अग्नि में प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी थीं। उस समय सिर्फ होलिका हीं अग्नि से जली थी और प्रह्लाद सुरक्षित ही अग्नि से बाहर आ गया था। इसी कारण होलिका के रूप में अग्नि देव की पूजा की जाती है। इसके बाद दूसरे दिन संपदा देवी की पूजा होती है।
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