साँस जीवन का वह सत्य जिसके आगे कोई तर्क नहीं होता। इंसान बिना खाये तीस दिन जीवित रह सकता है। बिना पानी के तीन दिन जीवित रह सकता है। मगर बिना साँस के वह केवल तीन मिनट जिंदा रह सकता है। मगर हम हर चीज के जैसे इन चीजों का मोल भी नहीं जानते।
नई दिल्ली। हम कभी इसे सुधारने की कोशिश नहीं करते साँस लेने छोड़ने का भी एक सही और एक गलत तरीका होता है। जिससे काफी लोग अंजान होते है। इसके ध्यान नहीं रखने पर आपके साथ कई ऐसी समस्या आ सकती है जो आपके उम्र को घटा सकती है।
मुख्यतः साँस लेने के दो तारीके होते है एक जिसमे जितनी आक्सीजन की जरूरत होती है हम उतनी अपने माँसपेशियों तक पहुँचा पाते है। इसी के साथ हम अपने शरीर में जमा ऊर्जा का ईस्तेमाल कर पाते हैं। यदि शरीर इसका ध्यान न रखे तो आपको आपके हड्डियों और माँसपेशियों पीडादायक कष्ट हो सकता है।
-साँस लेने और छोड़ने में जल्दबाजी का मतलब है की आप न सही ढंग से आक्सीजन लेना पा रहे है और न ही सही ढंग से कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ पा रहे हैं। आप फेफड़े के बस उपरी हिस्से का इस्तेमाल कर रहे है।
– दिमाग के स्थिरता के लिए हमें जरूरी है की हम धीरे धीरे साँस लें इससे हमारा मस्तिष्क भी शांत रहता है और व्यक्ति को आयु भी लम्बी मिलती है।
-आपका पहला उद्देश्य अपने साँस को नियंत्रित करने का होना चाहिय।
-साँस को धीमें और नियंत्रित ढंग से लेना चाहिए मगर साथ में इस बात का ख्याल भी रखना चाहिए की आप साँस को नियमित तरीके से छोडें भी ताकी इस दोनों हवा के बीच एक संतुलित संयम बने रहे।