जानें कैसे पाया माँ अंजना ने अपने पुत्र हनुमान को
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जानें कैसे पाया माँ अंजना ने अपने पुत्र हनुमान को
आज पूरे भारत में भगवान राम के परम भक्त और माँ अंजनी के पुत्र वीर बजरंगी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। आज के दिन हनुमान जी के भक्त पूरी श्रद्धा से हनुमान जी की पूजा करते हैं। वीर बजरंगी भगवान शिव के ग्यारवें रूद्र अवतार माने जाते हैं। आज हम आपको हनुमान जी के जन्म और जन्मस्थली से जुड़ी प्रचलित बाते बताएंगे।
हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारवें रुद्र अवतार के साथ साथ एकमात्र ऐसे देवता हैं जो कि कलयुग में भी धरती पर वास करते हैं। माता सीता के आशीर्वाद से हनुमान जी को चिरंजीवि का वरदान प्राप्त हुआ है। कहा जाता है कि कलयुग में अपने भक्तों की रक्षा के लिए हनुमान जी धरती पर वास करते हैं।
भगवान हनुमान की जन्म स्थली से जुड़े कई दावे किए जाते है।
हनुमान जी के पिता वानरराज केसरी कपि क्षेत्र के राजा थे। कई लोगों का मानना है कि हरियाणा का कैथल पहले कपिस्थल हुआ करता था और इसी स्थान पर हनुमानजी का जन्म हुआ था और कुछ लोग इसे हनुमान जी की जन्मस्थली भी मानते है।
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कर्नाटक की तरफ मान्यता है कि कर्नाटक के हंपी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास मतंग पर्वत है। वहां पर मतंग ऋषि का आश्रम भी हुआ करता था और उसी में हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी के साथ कुछ लोग बताते हैं कि हंपी का प्राचीन नाम पंपा था और प्रभु श्रीराम की पहली मुलाकात हनुमान जी से यहीं पर हुई थी।
यदि हम आगे बढ़े तो गुजरात के डांग जिले में भी हनुमान जी की जन्मस्थली होने का दावा किया जाता है। वहां के आदिवासी समुदाय की मान्यता है कि वहाँ पर स्थित अंजना पर्वत की अंजनी गुफा में हनुमान जी का जन्म हुआ था।
साथ ही एक प्रचलित दावा और मीलता है जो कि झारखंड के लोगों से जुड़ा हुआ है। झारखंड के गुमला जिले के अंजना गांव में हनुमान जी की जन्म स्थली मानी जाती है। झारखण्ड के लोगों का मानना हैं कि वहाँ पर मौजूद गुफा में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था और वह उनकी जन्म स्थली बतायी जाती है। यह तो बात हुई हनुमान जी की जन्म स्थली को लेकर अब उनके जन्म की पौराणिक कथा जानते है। समुद्र मंथन के समय जब असुरों और देवताओं का अमृत प्राप्ति के लिए युद्ध हुआ था तब उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों से अमृत ले लिया था। जब भगवान शिव ने भगवान विष्णु को मोहिनी रूप में देखकर भगवान शिव वासना में लिप्त हो गए थे। उस समय भगवान शिव ने अपने वीर्य का त्याग कर दिया था और उस वीर्य को पवन देव ने अंजना माँ के गर्भ में स्थापित कर दिया था। जिससे की हनुमान जी का जन्म हुआ था इसी कारण वह भगवान शिव के रुद्र अवतार माने जाते हैं। माता अंजना ने हनुमान जी को पाने के लिए कड़ी तपस्या की थी। पौराणिक कथाएं बताती हैं कि वानर राज़ केसरी और अंजना ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी।
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उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि वह अंजना की कोख से जन्म लेंगे। जिसके बाद चैत्र पूर्णिमा के दिन माता अंजना के गर्भ से हनुमान जी ने जन्म लिया था। एक समय की बात है जब हनुमान अपने बालपन में सूर्य को पका हुआ फल समझकर खाने चल दिए थे वह उस पके हुए फल को खाने के लिए ललायित थे और अंततः उन्होंने सूर्य को निगल लिया था। जिसके बाद इंद्र ने उन पर वज्र से प्रहार कर दिया था इन्द्र के प्रहार से क्रोधित होकर पवन देव ने तीनों लोकों से वायु का प्रवाह बंद कर दिया था। जब पवनदेव ने तीनों लोकों से वायु का प्रवाह बंद कर दिया था तो उसके बाद सभी देवताओं ने हनुमानजी को आशीर्वाद दिया था।
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