Google ने Play Store पर दर्जनों ऐप पर बैन लगा दिया है जो चुपके से यूज़र्स के फोन नंबर और बाकी ज़रूरी डेटा को चोरी कर रहे थे. कुछ बैन हुई ऐप्स में ‘मुस्लिम प्रेयर ऐप’ शामिल हैं जिन्हें 1 करोड़ से ज़्यादा बार डाउनलोड किया गया था. इसमें एक बारकोड स्कैनिंग ऐप और एक हाईवे स्पीड ट्रैप डिटेक्शन ऐप भी पाई गई है. क्यूआर कोड स्कैनिंग ऐप में डेटा-स्क्रैपिंग कोड पाया गया. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन ऐप्स को अब Google Play Store से प्रतिबंधित कर दिया गया है, वे लोकेशन की जानकारी, ईमेल और फोन नंबर, आस-पास के डिवाइस और पासवर्ड इकट्ठा कर रहे थे.
रिसर्च से ये भी पता चला है कि मेजरमेंट सिस्टम एस डी आर एल द्वारा विकसित एक एसडीके भी वॉट्सऐप डाउनलोड के लिए स्कैन कर सकता है. कंपनी वर्जीनिया डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर से जुड़ी हुई है, जिसने कथित तौर पर यूज़र्स के डेटा को निकालने के लिए अपने ऐप में अपना कोड शामिल करने के लिए उन्हें डेवलप करने के लिए पेमेंट किया था.
WSJ की रिपोर्ट है कि बैन हुई ऐप्स में पाए जाने वाले इनवेसिव कोड की खोज दो रिसर्चर, सर्ज एगेलमैन और जोएल रियरडन ने की थी. ये रिसर्चर ने ऐप सेंसस नामक एक संगठन की स्थापना की, जो प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए मोबाइल ऐप की जांच करता है. रिसर्चर ने खुलासा किया कि वे 2021 में अपने निष्कर्षों के साथ Google तक पहुंचे थे.
शोधकर्ताओं में से एक, रियरडन ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा है, ‘किसी व्यक्ति के वास्तविक ईमेल और फोन नंबर को उनके सटीक जीपीएस स्थान इतिहास में मैप करने वाला डेटाबेस विशेष रूप से डरावना है, क्योंकि इसका उपयोग किसी व्यक्ति के स्थान इतिहास को देखने के लिए केवल उनके फोन नंबर या ईमेल को जानने के लिए आसानी से किया जा सकता है, जिसका इस्तेमाल पत्रकारों, असंतुष्टों या राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को लक्षित करने के लिए किया जा सकता है.’
खतरनाक सॉफ्टवेयर हटने पर वापस आ सकती है ऐप
हालांकि, जब Google को ऐप्स में पाए जाने वाले खतरनाक सॉफ्टवेयर के बारे में सूचित किया गया, तो उसने फौरन कार्रवाई नहीं की और फिर 25 मार्च को अपने Play Store से ऐप्स को हटा दिया. Google के एक प्रवक्ता, स्कॉट वेस्टओवर ने कहा कि अगर खतरनाक सॉफ्टवेयर को हटा दिया गया तो ऐप्स को फिर से लिस्ट किया जा सकता है.
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