नई दिल्ली : जीवाश्म ईंधन की कम होते भंडार, ईंधन की बढ़ती कीमतों और इससे होने वाले प्रदूषण के चलते अब दुनिया का फोकस अक्षय ऊर्जा पर है. अक्षय उर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) उसे कहते हैं जिसके स्रोत कभी खत्म नहीं होते और इनसे प्रदूषण भी नहीं होता. सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त ऊर्जा, बायोगैस, जैव ईंधन आदि नवीनीकरणीय ऊर्जा के कुछ उदाहरण हैं.
अब अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल वाहनों में, घरों में तथा उद्योग-धंधों में करने की तकनीक पर काम चल रहा है. इस बीच खबर है कि बोस्टन स्थित स्टार्टअप पॉलीजूल ने एक ऐसी प्लास्टिक बैटरी तैयार की है जिसमें अक्षय ऊर्जा को स्टोर करके इसका इस्तेमाल किया जा सके.
बोस्टन स्थित स्टार्टअप पॉलीजूल (PolyJoule) के अनुसार, बैटरी ग्रीड का इस्तेमाल करके हम ऊर्जा भंडारण को सस्ता और टिकाऊ बना सकते है. इससे अक्षय ऊर्जा को अधिकतम किया जा सकता है. एमआईटी टेक्नोलॉजी (MIT Technology) रिव्यू ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बैटरी को लिथियम-आयन बैटरी के लिए लंबे समय तक चलने वाला विकल्प माना जा सकता है, खासतौर से सौर और पवन स्रोतों से बिजली स्टोर करने के लिए.
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पॉलीजूल ने प्लास्टिक बैटरी का एक पावर ग्रीड तैयार किया है और इसमें रिन्यूवल एनर्जी को स्टोर करने के प्रयोग चल रहे हैं. पॉलीजूल ने 18,000 बैटरी सेल के इस्तेमाल से एक ग्रीड तैयार किया है. इसके पॉलिमर बैटरी में पाए जाने वाले लिथियम और लेड को बदलने में सक्षम हैं.
प्लास्टिक बैटरी का इस्तेमाल
पॉलीजूल ने एमआईटी के प्रोफेसरों टिम स्वैगर (Tim Swager) और इयान हंटर (Ian Hunter) के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था. यह सोचने वाले वे पहले व्यक्ति थे कि प्रवाहकीय पॉलिमर ऊर्जा को स्टोर कर सकते हैं.
पॉलीजूल के सीईओ एली पास्टर का कहना है कि वह मजबूत और कम लागत वाली बैटरी बनाना चाहते हैं जो हर जगह फिट हो जाती है. पॉलीजूल की बैटरी को अधिक ताप और आग को रोकने के लिए एक्टिव टेंपरेचर कंट्रोल सिस्टम की आवश्यकता नहीं होती है.
जबकि तकनीक की लागत 65 डॉलर प्रति किलोवाट-घंटे के भंडारण के रूप में है. एली पास्टरने MIT टेक रिव्यू को बताया कि उनका ध्यान अभी ऐसी बैटरी बनाने पर है जिसका निर्माण में आसान हों. इसे पूरा करने के लिए पॉलीजूल पानी से बनने वाले एक केमिकल का इस्तेमाल करता है.
पॉलीजूल के सीईओ एली पास्टर का कहना है कि बैटरी पैक समान क्षमता वाले लिथियम-आयन सिस्टम से दो से पांच गुना बड़े हैं, इसलिए कंपनी ने फैसला किया कि यह तकनीक इलेक्ट्रॉनिक्स या कारों की तुलना में ग्रिड स्टोरेज जैसे स्थिर प्रयोगों के लिए बेहतर होगी.
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