सेहत की बात: साकेत स्थिति मैक्स हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ एण्ड बिहेरियल साइंस के प्रमुख डॉ. मधुसूदन सिंह सोलंकी बताते हैं कि डिप्रेशन (Depression), बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder), सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia), आटिज्म (Autism), सब्स्टेंस यूज डिसऑर्डर (Substance Use Disorder), अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) जैसी कई ऐसी मानसिक बीमारियां हैं, जिन पर समय पर ध्यान न दिया गया तो वह पीढ़ी दर पीढ़ी सफर करती है.
जी हां, मानसिक विकार से जुड़ी इन सभी बीमारियों को अनुवांशिक मानसिक (Genetic Mental Disorder) विकारों में गिना जाता है. लिहाजा, यदि आप या आपका कोई अपना इस तरह की मानसिक बीमारी से जूझ रहा है, तो इन मानसिक विकारों को गंभीरता से लेते हुए इसका इलाज कराए. कहीं ऐसा ना हो कि आपकी इस गलती का खामियाजा आपकी आने वाली पीढि़यों को भुगतना पड़े. अब तक की कई स्टडीज में पाया गया है कि माता-पिता से बच्चों में मानसिक विकार जाने की संभावना करीब 20 से 30 फीसदी तक रहती है.
क्या हैं अनुवांशिक मानसिक विकारों का मतलब |
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डिप्रेशन (Depression) | डिप्रेशन में छोटी-छोटी बातों पर मन उदास हो जाता है और यह मनोभाव लंबे समय तक बना रहता है. डिप्रेशन के लक्षणों में हर बात पर गुस्सा आना, किसी से बात करने का मन न करना, एकांत में रहने का मन करना, नींद में दिक्कत, एकाग्रता में कमी, भूख का न लगना, लगातार नकारात्मक विचारों का आना, छोटी-छोटी बातों में अपराध बोध होना, आत्मविश्वास की कमी आदि शामिल हैं. इसके अलावा, पहले जिन कामों में बहुत मन लगता था, अब उनमें मन न लगना भी डिप्रेशन की लक्षणों में एक है. |
बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) | बाइपोलर डिसऑर्डर नामक मानसिक बीमारी की स्थिति में मरीज की मनोदशा दो विपरीत स्थिति में बदलती रहती है, जो डिप्रेशन की वजह बनती है. इस बीमारी में नाकारात्मक दृष्टिकोण की वजह से मरीज में लगातार आत्महत्या को विचार आने लगते हैं. बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रमुख लक्षणों में व्यवहार में चिड़चिड़ापन आना, ऊर्जा में कमी, काम को पूरा करने में असमर्थता, अपनी ही दुनियां में खोए रहना, खुद को चोट पहुंचाना, आत्महत्या का विचार आना शामिल हैं. |
सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) | सिज़ोफ्रेनिया एक ऐसी गंभीर मानसिक बीमारी है, जिसमें मरीज को भ्रम होने, डरावने साए दिखने और वास्तविकता से संपर्क खोने की शिकायत होती है. इन मरीजों के मन में आत्महत्या करने का विचार लगातार आता रहता है. इस बीमारी की चपेट में आने वाली मरीजों में ज्यादातर की उम्र 16 वर्ष से 30 वर्ष के बीच है. सिजोफ्रेनिया के मरीजों को विभिन्न पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Personality Disorders), भ्रम (Delusions), माया (Hallucinations), सोचने में विकार (Thought Disorder) और प्रेरणा की कमी (Lack Of Motivation) जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं. |
आटिज्म (Autism) | आटिज्म की स्थिति में मस्तिष्क एक साथ विभिन्न कई कामों को करने में विफल रहता है. आटिज्म से पीडि़त बच्चों को सामान्यतौर पर बोलने में दिक्कत होती है, साथ ही वे देरी से बोलना शुरू करते हैं. इन बच्चों को वाक्यों को बनाने में दिक्कत होती है. आसामान्य लय में बोलने वाले ये बच्चे न ही अपनी भावनाओं को जल्दी व्यक्त करते हैं और न ही दूसरे की भावनाओं को समझ पाते हैं. आटिज्म से पीडि़त बच्चे अक्सर अकेले खेलना और एकांत में रहना पसंद करते हैं. |
अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) | एडीएचडी एक ऐसा मानसिक विकार है, जिसमें मस्तिष्क में अतिसक्रियता पैदा होती है. इसके लक्षण महज दो से तीन साल की उम्र में बच्चों में दिखना शुरू हो जाते हैं. एडीएचडी के प्रमुचा लक्षणों में एकाग्रता में कमी, दूसरों की बातों को अनसुना करना, लगातार बात न मानना, पढ़ाई व अपने काम सही तरीके से नहीं कर पाना, लगातार बातों को भूलना, सामान खोना देना, अत्यधिक बातूनी होना आदि शामिल हैं. एडीएचडी से पीडि़त बच्चों को बैठने में दिक्कत होती है. |
अनुवांशिक मानसिक बीमारियों से पीड़ित बच्चे
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. मधुसूदन सिंह सोलंकी के अनुसार, अब इस बात के साक्ष्य मौजूद हैं कि माता-पिता से बच्चों में मानसिक बीमारियां स्थानांतरित होती है. हां, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि माता-पिता से यह बीमारी उनके किसी एक बच्चे में आए और बाकी पर कोई प्रभाव न रहे. यहां सबसे जरूरत बात यह है कि जिन लोगों में किसी भी तरह का कोई मानसिक विकार रहा है, वह उसको स्वीकार करें और उसका सही से इलाज कराएं. इसके अलावा, अपनी अगली पीढ़ी पर शुरू से ध्यान रखे. यदि उनमें किसी भी तरह के लक्षण हैं तो तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
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Tags: Mental health, Sehat ki baat