करना चाहते है भगवान गणेश को प्रसन्न, जाने पूजा विधि और नियम
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करना चाहते है भगवान गणेश को प्रसन्न, जाने पूजा विधि और नियम
प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को गणपति, एकदंत, गजानंन, लंबोधर, विनायक आदि नामों से जाना चाहता है। भगवान श्री गणेश माता पार्वती और भगवान शंकर के पुत्र हैं। किसी भी पूजा के आरंभ से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है क्योंकि यह प्रथमपूज्य देवता हैं। जो भी भक्त भगवान श्री गणेश की पूजा करता है वह उसके सारे विघ्न लेते हैं इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहते हैं। गणेश जी की पूजा करने से जातक के धन में वृद्धि होती है और घर में उत्पन्न सभी इस प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। भगवान श्री गणेश की पूजा के लिये बुधवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है और यह बुध ग्रह के कारक देव भी माने जाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि भगवान गणेश की पूजा करने की क्या विधि होती है और उनकी पूजा करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं। साथ ही हम इनकी पूजा से जुड़े नियम भी बताएंगे।
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सबसे पहले जानते हैं भगवान गणेश की पूजा किस विधि के अनुसार करनी चाहिए।
किसी भी देवी देवता की पूजा करने से पहले आपको सुबह उठ के स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
अब आप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठे और अपने सामने भगवान श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना करें। उसके बाद गणेश जी को पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मोली, चंदन, मोदक और दूर्वा अर्पित करें। भगवान श्रीगणेश को सूखे सिंदूर का तिलक लगाना सबसे उत्तम माना जाता है इसलिए उनका रोली से सुखा तिलक करें। उसके बाद भगवान श्रीगणेश को स्मरण करते हुए ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जप करें और गणेश जी की आरती करें।
अब जानते हैं कि भगवान गणेश की पूजा करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं।
जो भी भक्त श्री गणेश की पूजा करते हैं उन्हें सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और भगवान गणेश की कृपा से उनका भाग्योदय होता है। जिसके कारण उन्हें जीवन में कई लाभ भी प्राप्त होते हैं। गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं इसलिए जो भी जातक इनकी पूजा करता है उसकी बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है और उसे जीवन में सफलता और तरक्की की प्राप्ति होती है।
यह बहुत ही शांतिप्रिय देव है इसलिए जो भी भक्त इनकी आराधना करता है उसमें सहनशीलता का विकास होता है। मान्यता है कि भगवान गणेश के बड़े बड़े कान इसलिए है क्योंकि वह अपने भक्तों की सभी बातें ध्यानपूर्वक सुनते हैं। यदि आप अपने अंदर छिपी शक्तियों को नहीं पहचान पा रहे है तो आपको भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिये। कहते हैं इनकी पूजा करने से व्यक्ति को अपने अंदर छिपी शक्तियां का ज्ञान प्राप्त होता है। आत्मा की शुद्धि सबसे महत्वपूर्ण होती है जो व्यक्ति चाहता है कि उसकी आत्मा की शुद्धि हो तो उसे भगवान गणेश की ध्यान पूर्वक पूजा करनी चाहिये।
भगवान गणेश की पूजा से जुड़ा सबसे बड़ा नियम यह है कि उनकी पूजा में तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस बात का कारण एक पौराणिक कथा में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब तुलसी एक पौधा ना होकर कन्या थी और वह विष्णु भगवान की परम भक्त थी। तब उसने एक बार गणेश जी को देखा, उस समय भगवान श्रीगणेश तपस्या में लीन थे। तुलसी उन पर मोहित हो गई और उसने भगवान से विवाह करने की इच्छा प्रकट की परंतु भगवान श्री गणेश ने खुद को ब्रह्मचारी बताकर उसके विवाह का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था। इस बात से तुलसी को काफी क्रोध आया, यह देख गणेश जी को और अधिक क्रोध आया और उन्होंने तुलसी का विवाह एक राक्षस से होने का शराप दे दिया था।
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इसके बाद तुलसी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने भगवान गणेश से माफी उसकी क्षमा याचना सुन भगवान गणेश ने कहा कि तुम्हारा विवाह एक राक्षस से तो होगा परंतु तुम अगले जन्म में एक पौधे के रूप में जन्म लोगी और तुम तब भगवान विष्णु की प्रिय होगी। लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा इस्तेमाल कदापि नहीं किया जाएगा। तब से भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का उपयोग वर्जित है। साथ ही उन्होंने तुलसी को वरदान दिया था कि तुम कलयुग में जीवन और मोक्ष देने वाले पौधे के रूप में जानी जायेगी। भगवान गणेश की पूजा से जुड़े और भी नियम है जैसे की उनकी स्थापना ईशान कोण में करना चाहिए और उन्हें प्रतिदिन भोग लगाना चाहिए। ध्यान रखे आप जिस जगह पर भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करें उस जगह को बार बार ना बदले क्यूंकि यह अच्छा नहीं माना जाता है।
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