Thursday, January 20, 2022
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Ganesh Chaturthi 2022: माघ मास में कब होगी गणेश चतुर्थी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय


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Ganesh Chaturthi 2022

Highlights

  • माघ मास के गणेश चतुर्थी का बहुत अधिक महत्व
  • जनवरी माह में 21 जनवरी को मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है, लेकिन माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का बड़ा ही महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश को सजाया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है, साथ ही आज पूरा दिन व्रत करने के बाद शाम के समय चन्द्रोदय होने पर व्रत का पारण किया जाता है। माघ मास में घणेश चतुर्थी 21 जनवरी, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

माघ महीने की इस चतुर्थी को सकट चौथ, तिलकूट चतुर्थी, तिल चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी और माही चौथ के नाम से भी जाना जाता है। जानिए गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भोग।

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गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 21 जनवरी सुबह 8 बजकर 54 मिनट से 


चतुर्थी तिथि समाप्त- 22 जनवरी सुबह 9 बजकर 15 मिनट तक 
चन्द्रोदय: 21 जनवरी रात 8 बजकर 44 मिनट पर

Ganesh Chaturthi 2022

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Ganesh Chaturthi 2022 

गणेश जी को लगाएं तिल का भोग 

इस दिन भगवान गणेश को तिल का भोग लगाने, व्रत के पारण में तिलकूट खाने और तिल दान करने का भी महत्व है। कहते हैं भगवान गणेश की पूजा करने से जहां एक तरफ व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, तो वहीं अनगिनत इच्छाओं की भी पूर्ति होती है | ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन से भी गणेश दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है।

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गणेश चतुर्थी की पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगाजल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं। अब लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

शाम के समय चांद के निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के  बाद प्रसाद बांटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।





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