फाल्गुन अमावस्या, दूर होंगे सभी पितृदोष और मिलेगा सुख सौभाग्य का वरदान
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फाल्गुन अमावस्या, दूर होंगे सभी पितृदोष और मिलेगा सुख सौभाग्य का वरदान
अमावस्या तिथि का समय चंद्र मास पक्ष के महत्वपुर्ण समय से है. हिंदू पंचांग अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है. इस तिथि को कई असारे धार्मिक कृत्यों हेतु शुभ माना जाता है ओर इस समय पर किया जाने वाला स्नान दान कार्य कई गुना फलदयै होता है. फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण और अनुष्ठान के कार्यों को भी किया जाता है जिसमें पूर्वजों के आशीर्वाद का आह्वान करने और शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. इसी के सतह इस दिन श्री विष्णु भगवान के साथ भगवान शिव एवं चंद्रमा का पूजन भी होता है. फाल्गुन अमावस्या का दिन पूर्वजों को समर्पित होता है. अमावस्या के दिन भक्त जल्दी उठकर स्नान करते हैं इसके बाद, पितरों को खुश करने के लिए पूजा की जाती है. ब्राह्मणों को विशेष भोजन कराया जाता है. परिवार के लोग अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते हैं.
भक्त पूरी भक्ति के साथ इस दिन देव पूजा करते हैं और सुख सौभाग्य के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं. माना जाता है कि फलगुन अमावस्या पर शिव पूजा से धन और समृद्धि आती है. भक्त भगवान शिव को समर्पित वैदिक मंत्रों का पाठ करते हैं और उनकी स्तुति में भजन गाते हैं. देश के कई स्थानों में भगवान शिव एवं श्री विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजाएं होती हैं. कुछ क्षेत्रों में लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं. पूजा के सभी अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद दिन में केवल भोजन किया जाता है.
फाल्गुन अमावस्या पूजा विधि
अमावस्या के दिन गंगा स्नान करना चाहिए अगर यह न हो पाए तो नहाने के पानी में गंगाजल मिला कर गंगा स्नान का फल प्राप्त किया जा सकता है. स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए और सूर्य मंत्र का पाठ करना चाहिए इसके द्वारा ग्रह शुभता का आगमन होता है. इसके बाद गणेश जी की पूजा करनी चाहिए तथा भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करते हुए धूप और दीया जलाकर आरती करनी चाहिए.संध्या समय पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए तथा इष्ट का पूजन संपन्न करना चाहिए. फाल्गुन अमावस्या के समय किया जाने वाला धार्मिक कृत्य जीवन में शुभता लाता है तथा पापों का नाश होता है.
फाल्गुन पूर्णिमा पर स्नान दान का महत्व
अमावस्या तिथि मुख्य रुप से स्नान दान का समय होता है. इस अवसर पर पवित्र नदियों पर स्नान का विधान रहा है. भारत के विभिन्न हिस्सों में अमावस्या पर अन्नदान का भी आयोजन किया जाता है. जल्दी उठकर सुबह की रस्में पूरी करते हैं. इस दिन पीले या सफेद वस्त्र धारण करते हैं और ब्राह्मण को अपने घर में आमंत्रित करते हैं और ब्राह्मण पूजा हवन एवं सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा इत्यादि का कार्य किया जाता है. इस के पश्चात भोग को सभी के मध्य बांटा जाता है. गरीबों एवं असमर्थ लोगों को भोजन खिलाया जाता है.
अमावस्या का धार्मिक महत्व कई हिंदू शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है. अमावस्या का दिन ग्रहों की पूजा करने के लिए बहुत फलदायी होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समय पर तप और भक्ति करने पर ग्रह शांति भी होती है. इस दिन किया गया कोई भी दान बहुत फलदायी साबित होता है और मुक्ति की प्राप्ति में भी मदद करता है. अमावस्या पर दान करने वाले व्यक्ति को भगवान की कृपा से एक आनंदमय जीवन जीने का आशीर्वाद मिलता है. यह दिन उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से अनुकूल होता है जो पितृ दोष के हानिकारक प्रभावों से पीड़ित हैं. जो लोग आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं उनके लिए अमावस्या का दिन काफी फायदेमंद होता है.