मुंबई: इलेक्ट्रिक वाहन और ईवी बैटरी निर्माताओं को रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से मुश्किल वक्त का सामना करना पड़ रहा है. सप्लाय चैन में रुकावाट और आवश्यक घटकों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं. माना जा रहा है कि यह मुश्किल उस वक्त और ज्यादा गहरा सकती है, जब भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग ज्यादा होगी. ऐसी में इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है.
भारत ज्यादातर ईवी घटकों के लिए आयात पर ही निर्भर है. विशेष रूप से बैटरी में इस्तेमाल होने वाले निकेल, कोबाल्ट, और लिथियम जैसे तत्व विदेशों से ही आयात किए जाते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आवश्यक कच्चे माल की सप्लाय में बड़ी बाधा आई है. इसके अलावा चीन में हाल ही में कोविड के मामलों में वृद्धि के कारण लगा लॉकडाउन इस चिंता को ज्यादा बढ़ा रहा है, क्योंकि भारत में इस्तेमाल होने वाली लगभग 90 प्रतिशत सेल चीन से आयात की जाती हैं.
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बाजार में कीमतों के प्रभाव को कम करना मुश्किल है, क्योंकि भारत कई घटकों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है. एक्साइड इंडस्ट्रीज और के बीच एक संयुक्त उद्यम नेक्सचार्ज के सीईओ स्टीफन लुइस कहते हैं, “आजकल सभी लिथियम-आयन सेल आयात किए जाते हैं. इसका मतलब है कि हम कच्चे माल की खरीद में शामिल नहीं हैं. ऐसे में सेल की कीमतों में 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है.”
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फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, भारत में फरवरी 2022 में 32,443 इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स की बिक्री हुई, जो साल-दर-साल 433 प्रतिशत ज्यादा थी. इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों ने भी फरवरी में 297 प्रतिशत की छलांग (YoY) देखी, जिसमें भारत में कुल 2,352 यूनिट्स की बिक्री हुई.
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