न्यूज पोर्टल City AM ने अपनी रिपोर्ट में बेली के हवाले से लिखा है, ‘’यह मुझे चिंतित करता है कि कोई देश इसे अपनी राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में चुनेगा। सबसे ज्यादा चिंता मुझे इस बात की होगी कि क्या अल साल्वाडोर के नागरिक अपने पास मौजूद मुद्रा के नेचर और अस्थिरता को समझते हैं?”
बेली का कमेंट इंग्लैंड के उस बैकड्रॉप का भी हिस्सा है, जिसके तहत यह देश एक नैशनल डिजिटल करेंसी लॉन्च करने के बारे में सोच रहा है। एंड्रयू बेली ने कहा कि मेरे विचार में डिजिटल करेंसीज को स्थिर होना चाहिए, खासकर अगर इसका इस्तेमाल पेमेंट के लिए किया जा रहा हो।
मौजूदा वक्त में क्रिप्टोकरेंसी किसी भी बैंक या फाइनैंशनल इंटरमीडिएटरी द्वारा गर्वन नहीं की जाती। बिटकॉइन और ईथर जैसे क्रिप्टो टोकन का इस्तेमाल करके तत्काल और ट्रेस ना हो सकने वाले क्रॉस-बॉर्डर फंड ट्रांसफर को आसान बनाया जा सकता है। इंडिया, साउथ कोरिया और अमेरिका समेत कई देश क्रिप्टो स्पेस को रेग्युलेट करने के तरीके तलाश रहे हैं।
इससे पहले नवंबर में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी अल साल्वाडोर को बिटकॉइन को ऑफिशियल करेंसी के रूप में इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी थी। इस बीच, अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले देश में बिटकॉइन को अपनाने में तेजी ला रहे हैं।
इस वक्त अल साल्वाडोर के पास $70 मिलियन (लगभग 524 करोड़ रुपये) मूल्य के 1220 बिटकॉइन टोकन हैं। सितंबर से अल साल्वाडोर में अमेरिकी डॉलर के साथ बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। देश भर में 200 से अधिक बिटकॉइन एटीएम भी लगाए गए हैं।
हाल ही में अल्व साल्वाडोर के राष्ट्रपति ने कोंचगुआ ज्वालामुखी के बेस पर बिटकॉइन सिटी बनाने की अपनी योजना का भी खुलासा किया था। टोंगा और पलाऊ जैसे छोटे देश भी बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में वैध बनाने पर चर्चा कर रहे हैं।
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।