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दूध जलेबी का है शौक, कश्मीरी गेट में मक्खनलाल टीकाराम की दुकान का लेना न भूलें स्वाद


(डॉ. रामेश्वर दयाल) जिंदगी में आप शाकाहारी या मांसाहारी भोजन खा लें. कॉन्टीनेन्टल या चाइनीज डिश का भी मजा उठा लें. ये आपको मजा दे सकते हैं. लेकिन हम भारतीयों का जीवन दूध के बिना फीका है. अभी भी रिवाज है कि नाश्ते में दूध पीने की परंपरा है तो रात को भी सोने से पहले दूध दिया जाता है, ताकि पेट का सिस्टम दुरुस्त रह सके. इस तरह से दूध पीना तो हम भारतीयों के लिए सामान्य बात है.
लेकिन बड़ी कड़ाही में देर तक खौलता दूध, जिसका रंग खौलते-खौलते हल्का गुलाबी हो गया है. ऐसा दूध, मोटी मलाई मारके अगर कुल्हड़ में मिल जाए तो पीने की बात तो दूर देखते ही शरीर में ताजगी और स्फूर्ति का आभास होता है.
इस दूध का अगर पूरा आनंद उठाना है तो साथ में रसीली जलेबी भी मिल जाए तो सोने पर सुहागा हो जाता है. दूध-जलेबी का गठजोड़ तो भारतीय खानपान की पुरानी परंपरा है. आज हम आपको ऐसी दुकान पर ले चल रहे हैं जो पुरानी दिल्ली इलाके में आजादी से बहुत पहले से दूध-जलेबी बेच रही है. उनका यह कारोबार आज भी जारी है.

सुबह ही भट्टी पर चढ़ जाती है दूध की कड़ाही

पुरानी दिल्ली का कश्मीरी गेट इलाका बहुत मशहूर है. अंग्रेजों के वक्त इस इलाके की खासी विशेषता थी, यहां बड़े-बड़े कार्यालयों के अलावा हिंदू कॉलेज भी हुआ करता था, जो आजकल दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्थित है.
यहीं पर आजकल दिल्ली चुनाव आयोग का कार्यालय है. इसी के बगल में बड़ा बाजार है. वहीं पर ही ‘मक्खन लाल टीका राम’ दूध वाले की दुकान है. सालों से यह दुकान कड़ाई वाले दूध के लिए मशहूर है. पुरानी दिल्ली के अधिकतर दूध वालों की दुकान में शाम को दूध की कड़ाही चढ़ती है, लेकिन इस दुकान पर सुबह ही भट्टी पर कड़ाही चढ़ा दी जाती है, जिसमें रात तक दूध उबलता रहता है.

पहले इस दुकान पर कुल्हड़ में दूध मिलता था, जो अब भी मिलता है. आजकल यहां पर कलरफुल डिस्पोजेबल गिलास में भी दूध दिया जाता है. चूंकि कड़ाही में दिनभर दूध उबलता रहता है, इसलिए वह हल्का गुलाबी नजर आता है. उसमें इतनी मोटी मलाई चढ़ जाती है, जो आपको शायद ही किसी दूध की दुकान पर नजर आए.

कुल्हड़ में दूध और जलेबी का है अलग ही मजा

आप कभी भी दुकान पर पहुंचेंगे, कड़ाही पर दूध उबलता दिखाई देगा. आप कहेंगे कि एक कुल्हड़ दूध या गिलास दूध चाहिए तो कड़ाही से ढाई सौ ग्राम दूध निकाला जाएगा. चीनी डालकर उसे हल्का ठंडा किया
जाएगा. फिर कड़ाही से मोटी मलाई काटकर उसे दूध पर उड़ेला जाएगा. इसकी कीमत 45 रुपये है. यहां पर दूध-जलेबी भी मिलती है.

इसकी कीमत 85 रुपये है. दुकान पर बैठने का स्थान है. आप वहां बैठकर या बाहर खड़े होकर आराम से दूध जलेबी का आनंद उठा सकते हैं. दोनों का गठजोड़ शानदार है. एक टुकड़ा जलेबी का मुंह में डाले, साथ में दूध का घूंट पीएं. जो स्वाद बनेगा वह आपको अलग ही दुनिया में ले जाएगा. आप मानेंगे कि पुरानी दिल्ली में इस दुकान वाले की दूध जलेबी खाकर आपने कोई गलती नहीं की है.

100 सालों से बिक रही है दूध-जलेबी

जब इस दुकान पर आप आए है तो यहां का कलाकंद (मिल्क केक) भी खा लें. शानदार और मुंह में घुलने वाला है. इसकी कीमत 480 रुपये किलो है. इस दुकान पर सालों से बेड़मी पूरी व सब्जी भी सर्व की जा रही
है. मतलब, दुकान पर आकर पूरा खाना खा सकते हैं. बेड़मी पूरी व सब्जी के बाद गरमा-गरम दूध जलेबी. मतलब पेट फुल व आत्मा आनंदित. इस डिश की कीमत 40 रुपये है. कुछ साल से दुकान पर छोले भटुरे भी मिल रहे हैं.

इसकी कीमत 60 रुपये प्लेट है. इस दुकान को 1920 में लाला टीका राम व उनके भाइयों ने शुरू किया था. फिर ये दुकान मेवाराम के पास आई. बाद में उनके बेटे रतनलाल ने कारोबार संभाला. आज उनके बेटे कपिल ओर दुशांत गुप्ता लोगों को दूध जलेबी खिला रहे हैं. उनका कहना है कि शुद्ध दूध की हमारी गारंटी है. जब से दुकान शुरू की है, तब से मुरादनगर से दूध आ रहा है. वह दूध वाला भी खानदानी है.
यह दुकान सुबह सात बजे खुल जाती है और आठ बजे दूध जलेबी व अन्य व्यंजन मिलना शुरू हो जाते हैं. रात 10 बजे तक खाना-पीना मिलता है. साल में एक बार सिर्फ होली पर अवकाश रहता है. याद रखें कि
कुल्हड़ में दूध पीएंगे तो 5 रुपये अलग से लगेंगे.

नजदीकी मेट्रो स्टेशन: कश्मीरी गेट

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