Tuesday, February 1, 2022
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Depression Care Tips: डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान कर कैसे करें खुद की देखभाल


Sehat Ki Baat: तेजी से पैर पसारती डिप्रेशन (Depression) की बीमारी ने दुनिया की करीब 4.3 फीसदी आबादी को अपनी गिरफ्त में ले रखा है. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, डिप्रेशन के पीड़ितों का यह आंकड़ा भारत में इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि उसने अब हर 20 में से एक भारतीय को अपनी चपेट में ले रखा है. ऐसे में, हमारे लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि इस बीमारी से बचाव के लिए हम न केवल डिप्रेशन के लक्षणों (Symptoms of Depression) को समझें, बल्कि यह भी जानें कि डिप्रेशन के हालात में खुद की देखभाल (Depression Selfcare) कैसे करनी है.

मैक्‍स सुपर स्‍पेशिलिटी हॉस्पिटल साकेत में डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्‍थ एण्‍ड बिहेवियरल साइंस के डायरेक्‍टर डॉ. समीर मल्‍होत्रा के अनुसार, डिप्रेशन यानी अवसाद के तीन प्रमुख लक्षण हैं. पहला, किसी भी काम में मन नहीं लगना. दूसरा, छोटे-छोटे कामों में बहुत अधिक थकान महसूस होना और तीसरा, लगातार मन उदास रहना. इन तीन में से कोई भी दो लक्षण यदि दो हफ्तों तक लगातार महसूस होते हैं तो समझ लीजिए कि आप डिप्रेशन की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसे में पहले सेल्‍फ केयर के जरिए खुद को डिप्रेशन से दूर करने की कोशिश करना चाहिए. लक्षण नहीं जाने पर आपको मनोचिकित्‍स की मदद लेनी चाहिए.

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डिप्रेशन में परेशान करने वाले अन्‍य लक्षण
डॉ. समीर मल्‍होत्रा के अनुसार, काम में मन न लगना, थकान महसूस होना और मन उदास रहना, डिप्रेशन के सांकेतिक लक्षण हैं. इसके साथ, कुछ और भी लक्षण हैं जो आपको बताते हैं कि आप कदर इस बीमारी की गिरफ्त में आ चुके हैं. मसलन, आपकी नींद में उतार-चढ़ाव है, यानी कभी नींद कम आती है और कभी बहुत अधिक आती है. भूख बहुत कम लगती है, अपने विषय में और दुनिया के विषय में नकारातमक सोचना आदि डिप्रेशन की गिरफ्त में आने के लक्षण हैं. इसके अलावा, इस बीमारी में मरीज को ऐसा लगता है कि उसकी कोई मदद नहीं कर सकता और आगे चलकर उनका कोई भविष्‍य नहीं है.

डॉ. मल्‍होत्रा ने बताया कि डिप्रेशन की चपेट में आ चुके कई मरीजों में जीवन खत्‍म करने के विचार आने लगते हैं. उनके अंदर गिल्‍ट की फीलिंग होती है. किसी भी समस्‍या के लिए वह खुद को गुनहगार मानते हैं. ऐसे व्‍यक्तियों के व्‍यवहार में बहुत अधिक खीझ आ जाती है. उन्‍हें बहुत गुस्‍सा आता है. किसी भी व्‍यक्ति में प्रमुख लक्षणों के साथ इस तरह के लक्षण नजर आते हैं, तो उन्‍हें तत्‍काल अपने मनोचिकित्‍सक से मिलना चाहिए. उन्‍होंने बताया कि कोई भी व्‍यक्ति इस मनोस्थिति में न फंसे, इसके लिए जरूरी है कि उसका रुख सकारात्‍मक हो. समस्‍याओं पर दिमाग लगाने की बजाय, समस्‍या के समाधान की तरफ देखें.

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कैसे करें खुद की देखभाल
डॉ. समीर मल्‍होत्रा के अनुसार, बायोलॉजिकली मस्तिष्‍क में सेरोटोनिन (serotonin) नाम का एक केमिकल है. इस केमिकल के कम होने की वजह से नकारात्‍मक सोच ज्‍यादा बनने लगते है. कई बार आत्‍महत्‍या के विचार भी आने लगते हैं. डिप्रेशन से जूझ रहे व्‍यक्ति के परिवार को चाहिए कि पीड़ित को अहसास दिलाएं कि उनका जीवन उसके लिए और उसके परिवार के लिए कितना कीमती है. ताकि उनको यह ना लगे कि उसका जीवन बेकार है, उनके जीवन का कोई महत्‍व नहीं है. डिप्रेशन का पता लगते ही चिकित्‍सीय मदद लेनी चाहिए. डिप्रेशन पूरी तरह से ट्रीटेबल है. ट्रीटमेंट के साथ-साथ खुद की देखभाल करके भी हम डिप्रेशन को खुद से दूर भगा सकते हैं.

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संवाद डिप्रेशन में अक्‍सर लोग खुद को अलग-थलग कर लेते हैं. वे अपने ही विचारों में घिरे रहते हैं. मन उदास लगने पर अपने अपनों से संवाद जरूर करें. संवाद डिप्रेशन से जूर जाने का सबसे बेहतर रास्‍ता है. 
नकारात्‍मकता से बचें डिप्रेशन की स्थिति में मरीज के दिमाग में नकारात्‍मकता हावी हो जाती है. कई बार ऐसे आघात लगते हैं, जिससे आदमी परेशान रहता है. इन्‍हें लगता है कि इनकी जिंदगी बेकार है और जिंदगी के कोई मायने नहीं हैं. ऐसी में, अपनी जिंदगी के सकारात्‍मक एवं सफलत पहलुओं को याद करें. विचार करें कि उनकी जिंदगी में क्‍या-क्‍या अच्‍छा है. अपनी ब्‍लेसिंग्‍स को याद करें.
भोजन डिप्रेशन की स्थिति में कई बार लोग खुद की केयर नहीं कर पाते हैं. ये लोग न ही ठीक से खाते हैं और न ही सोते हैं. डिप्रेशन से बाहर आने के लिए नींद और खाने के बीच संतुलन बहुत जरूरी है. ये अक्‍सर भूख नहीं है कह कर खाना नहीं खाते. ऐसी स्थिति में खाना जरूर खाना चाहिए, भले ही थोड़ा-थोड़ा खाना कई बार खाएं.
सोने का समय रात में सोने का समय निश्‍चित होना चाहिए. सोने के समय आप अपने बिस्‍तर पर पहुंच जाएं, चाहे आपको नींद आ रही हो या नहीं आ रही है. बिस्‍तर का समय होना चाहिए कि हमें किस समय बिस्‍तर पर लेटना है और कितने समय सुबह उठ जाना है. सोने समय बहुत अधिक समय तक अपने मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल न करें.
धूप में रहें हमारे स्‍वस्‍थ्‍य जीवन में धूप का बहुत महत्‍व है. डिप्रेशन के मरीजों को एक निश्चित समय धूप में जरूर गुजारनी चाहिए. पुराने समय में जब दवाइयां नहीं थीं, तब सनलाइट थेरेपी के जरिए कई मानसिक रोगों का इलाज किया जाता था. कई बार बंद कमरे में रहने की वजह से उदासी और घबराहट का अहसास होता है. लिहाजा, रोशनी में बाहर निकले और लोगों से मिले.

म्‍यूजिक

 

डिप्रेशन में कुछ भी करने का मन नहीं करता है. ऐसे समय मन से उदासी को उबारने के लिए म्‍यूजिक बहुत मददगार साबित हो सकता है. पॉजिटिव म्‍यूजिक सुनने की कोशिश करें. मन नहीं भी करें तो भी थोड़ा सा सुनने की कोशिश करें. जैसे बांसुरी है या सितार है.  सिरार मन से उदासी उबारने में मदद करता है. बांसुरी मन को शांत करती है.
नशे से करें परहेज डिप्रेशन की हालत में नशे वाली चीजों का सेवन न करें. डिप्रेशन की स्थिति में तनाव से निजात पाने के लिए लोग शराब या दूसरे नशे करने लगते हैं. ऐसा करना डिप्रेशन से निजात तो नहीं दिलाता, बल्कि आपके डिप्रेशन को बढ़ा जरूरत देता है.
योग मस्तिष्‍क को शांत और संतुलित करने में योग बहुत मददगार सिद्ध होता है. हम अपने दैनिक जीवन ने योग को शामिल कर डिप्रेशन की चंगुल से बाहर निकल कसते हैं.

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सलाह देने से बचें परिजन
डॉ. समीर मल्‍होत्रा ने डिप्रेशन की बीमारी से जूझ रहे परिजनों को भी कुछ बातों का खास रखना चाहिए. उन्‍हें सबसे अधिक इस बात का ख्‍याल रखें कि डिप्रेशन के मरीज को कोई डाक्‍टरी सलाह न दें. अक्‍सर देखा गया है हर शख्‍स कोई न कोई नया इलाज डिप्रेशन से जूझ रहे व्‍यक्ति को बता कर चला जाता है. ऐसी स्थिति में, पहले ही डिप्रेशन के मरीज का एनर्जी लेबल बहुत कम होता है, जिससे वह काम नहीं कर पाते हैं और उनके अंदर नकारात्‍मक भावना घर करने लगती है.

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