Tuesday, December 21, 2021
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Delimitation in Jammu and Kashmir : परिसीमन आयोग के फॉर्मूले के खिलाफ गुपकार अलायंस के नेता | Gupkar Alliance is against Delimitation in Jammu and Kashmir | Patrika News


Delimitation in Jammu and Kashmir : परिसीमन पर जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन (Sajjad Lone) ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होना चाहिए। उसी मापदंड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जो आप पूरे भारत में उपयोग करते हैं। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि ऐसा किया जा रहा है।”

नई दिल्ली

Updated: December 21, 2021 11:04:21 am

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में परिसीमन (Delimitation in Jammu and Kashmir) के तहत विधानसभा सीटों (Assembly Seats) को फिर से निर्धारित करने का काम शुरू हो गया है। इसको लेकर सोमवार को परिसीमन आयोग ने बैठक भी की, परंतु इसके खिलाफ गुपकार गैंग खड़ा हो गया है। चाहे नेशनल कांफ्रेंस के नेता हो या पीडीपी के नेता सभी इसे भाजपा की साजिश बता रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने इसे भाजपा की साजिश करार दिया है। इसके साथ ही ये मांग की गई है 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन किया जाना चाहिए।

Gupkar Gang against Delimitation in Kashmir

किसने क्या कहा?

नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने परिसीमन के प्रस्ताव पर कहा, “यह बेहद निराशाजनक है कि आयोग ने भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को अपनी सिफारिशों में शामिल करने की अनुमती दी, आंकड़ों को महत्व नहीं दिया गया जिसपर वास्तव में विचार किया जाना चाहिए था। ये साइंटिफिक नहीं, बल्कि “राजनीतिक” दृष्टिकोण से प्रेरित है।”

यह भी पढ़ें: क्या अब जम्मू कश्मीर को मिलेगा गैर-मुस्लिम मुख्यमंत्री? परिसीमन आयोग ने बैठक में दिया 7 सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव

उन्होंने आगे कहा, ‘जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव अस्वीकार्य है। इसके अनुसार 6 जम्मू और केवल 1 सीट कश्मीर के लिए विधानसभा क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने के तहत प्रस्तावित किया गया है। ये 2011 की जनगणना के आंकड़ों के खिलाफ है।’

पीडीपी अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने परिसीमन आयोग के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा, “ये आयोग बनाया ही इसलिए गया है ताकि लोगों को धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर विभाजित किया जा सके। इनका असली गेम प्लान जम्मू-कश्मीर में एक ऐसी सरकार को स्थापित करना है जो अगस्त 2019 के अवैध और असंवैधानिक फैसलों को वैध बनाएगी।”

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन (Sajjad Lone) ने परिसीमन आयोग पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होना चाहिए। उसी मापदंड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जो आप पूरे भारत में उपयोग करते हैं। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि ऐसा किया जा रहा है। ये जम्मू कश्मीर की जनता के साथ भेदभाव है।”

यह भी पढ़ें: फारुक अब्दुल्ला को कबूल नहीं है जम्मू को 6 सीटें ज्यादा देने के प्रस्ताव, पीडीपी ने भी जताई आपत्ति

इसके बाद सज्जाद लोन की पार्टी जम्मू कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने गुपकार गठबंधन से दूरी बना ली है। पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी की पार्टी ने भी आयोग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और इसका विरोध किया है।

वहीं, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि उनकी पार्टी 31 दिसंबर को आयोग के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देगी।इतनी आलोचनाओं के बावजूद केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि नेशनल कांफ्रेंस आयोग के निर्णय से संतुष्ट है।

अब ये परिसीमन क्या है? (Delimitation meaning)

परिसीमन (Delimitation) का अर्थ सीमाओं का फिर से निर्धारण करना है। किसी भी राज्य की लोकसभा हो या विधानसभा उसकी सीमाओं को जनसंख्या, जिलों के भूगोल और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत केंद्र सरकार हर जनगणना के बाद ही परिसीमन आयोग का गठन करती है।

गुपकार गैंग लगातार परिसीमन के खिलाफ बैठकें करता रहा है। सोमवार को भी इन नेताओं की बैठक हुई थी और 21 दिसम्बर को भी इस गठबंधन की बैठक है। इन नेताओं का ये भी कहना है कि किसी भी नतीजे तक पहुँचने से पहले क्षेत्रीय दलों के नेताओं से भी चर्चा की जानी चाहिए।

अब सवाल ये है कि आखिर इसका विरोध क्यों किया जा रहा है?

बता दें कि सोमवार को परिसीमन आयोग की बैठक में जम्मू में 6 और कश्मीर में 1 विधानसभा सीट बढ़ाने के लिए प्रस्ताव रखा गया। इस प्रस्ताव से जम्मू कश्मीर में कुल विधानसभा सीट 90 हो जाएंगी। जम्मू का प्रभाव भी प्रदेश की राजनीति में बढ़ जाएगा क्योंकि इस क्षेत्र की सीटें 37 से सीधे 43 हो जाएंगी। इसके अलावा कहा जा रहा है कि इस प्रस्ताव में 9 सीटें ST और 7 सीटें SC समुदाय के लिए भी प्रस्तावित हैं।

क्षेत्रीय दलों को डर है कि कहीं जम्मू का प्रभाव बढ़ने से भाजपा जम्मू कश्मीर में अपनी राजनीतिक पकड़ और मजबूत न करले। अबतक कश्मीर में सबसे बड़ी पार्टी के नेता ही मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होते थे जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 98.3 फीसदी है जबकि जम्मू में ये आंकड़ा लगभग 61 फीसदी है।

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