कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के बंद होने और हाई इम्पोर्ट प्राइसेज का सामना कर रहे इस देश को पिछले महीने बिजली कटौती शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। सर्दी के मौसम में बिजली की कमी पर रूस द्वारा चिंता व्यक्त करने और सप्लाई कम कर देने से मंगलवार को यूरोप में गैस की कीमतें 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गईं। कोसोवो ने दिसंबर में देश में 60 दिनों के लिए इमरजेंसी की स्थिति घोषित की थी। इससे सरकार एनर्जी इम्पोर्ट करने के लिए ज्यादा पैसे आवंटित कर सकेगी। साथ ही ज्यादा बिजली कटौती और अन्य सख्त नियम लागू कर सकेगी।
एक क्रिप्टोकरेंसी माइनर जिसके पास 40 GPU (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) हैं, उसने नाम न छापने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया कि वह बिजली के लिए हर महीने लगभग 170 यूरो (14,300 रुपये) का भुगतान कर रहा था। बदले में उसे माइनिंग में होने वाले प्रॉफिट से हर महीने लगभग 2,400 यूरो (2 लाख रुपये) मिल रहे थे। उत्तरी कोसोवो में कॉइन माइनिंग बढ़ी रहा है। यहां ज्यादातर सर्ब लोग रहते हैं, जो कोसोवो को एक देश के रूप में नहीं मानते और बिजली का भुगतान करने से भी इनकार करते हैं।
18 लाख की आबादी वाला यह देश अपनी ऊर्जा खपत का 40 प्रतिशत से अधिक आयात कर रहा है। सर्दियों में यहां बिजली की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि लोग हीटिंग के लिए बहुत ज्यादा बिजली इस्तेमाल करते हैं। कोसोवो में लगभग 90 प्रतिशत बिजली का उत्पादन लिग्नाइट (lignite) से होता है। यह एक नरम कोयला है, जो जलने पर जहरीला प्रदूषण पैदा करता है। आंकड़ों के मुताबिक, कोसोवो में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा लिग्नाइट का भंडार है। यह 12 से 14 अरब टन होने का अनुमान है।
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