लेटर में कहा गया है कि बिटकॉइन माइनिंग में इस्तेमाल होने वाली अत्यधिक ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन की वजह से दुनिया के पर्यावरण, लोकल इकोसिस्टम और कंस्यूमर इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट को लेकर चिंता है।
इस लेटर पर सीनेटर एलिजाबेथ वारेन (D-MA), शेल्डन व्हाइटहाउस (D-RI), जेफ मर्कले (D-OR), मार्गरेट हसन (D-NH), एड मार्के (D-MA) केटी पोर्टर (D-CA), रशीदा तलीब (D-MI), और जारेड हफमैन (D-CA) ने साइन किए हैं। हाउस एनर्जी एंड कॉमर्स कमिटी द्वारा क्रिप्टो माइनिंग के ऊर्जा पर असर मामले की एक सुनवाई के बीच यह लेटर भेजे गए।
स्वीडिश फाइनेंशियल सुपरवाइजरी अथॉरिटी और स्वीडिश एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग की वजह से ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य खतरे में है। क्रिप्टो- असेट्स के निर्माण के सबसे आम तरीके में बहुत ज्यादा मात्रा में बिजली की जरूरत होती है, जिससे काफी CO2 उत्सर्जन होता है।
स्वीडिश फाइनेंशियल सुपरवाइजरी अथॉरिटी के डायरेक्टर एरिक थेडीन के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी असेट्स का मौसम पर नकारात्मक असर होता है, क्योंकि इसके निर्माण में काफी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। यह चिंताजनक है और क्रिप्टो-असेट्स को रेगुलेट करने की जरूरत है।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और डिजिकॉनोमिस्ट का अनुमान है कि दो सबसे बड़ी क्रिप्टो-असेट्स- Bitcoin और Ethereum मिलकर पूरे स्वीडन की तुलना में एक साल में लगभग दोगुनी बिजली का इस्तेमाल करते हैं। अनुमान है कि क्रिप्टो-असेट्स अपनी मौजूदा मार्केट वैल्यू के हिसाब से हर साल 120 मिलियन टन CO2 वातावरण में रिलीज करते हैं, जिस वजह से पर्यावरण पर काफी बुरा असर पड़ता है। इसने दुनियाभर के पर्यावरणविदों को चिंता में डाल दिया है।
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