दुर्गा के नौ स्वरूप और उन्हें अर्पित किया जाने वाला विशेष प्रसाद
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दुर्गा के नौ स्वरूप और उन्हें अर्पित किया जाने वाला विशेष प्रसाद
पृथ्वी पर देवी दुर्गा के आगमन के साथ, समस्त ओर ऊर्जा का प्रवाह हम सभी के भीतर कंपित होता है हवा में गूंजती सुंदर ध्वनि हम सभी के भीतर भी शक्ति की झंकार का नाद करती सी प्रतीत होती है. पृथ्वी पर उनके अवतरण का समय एवं इन नौ दिनों में आध्यात्मिक चेतना का जश्न मनाने के लिए समय अत्यंत बहुत अच्छा होता है. नवरात्रि हिंदू नव वर्ष का प्रथम दिवस है ओर यह देश भर में ही भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. ऋतु बदलाव का भी यही समय होता है इस दिन को उगादी, हिंदू नव वर्ष, पंचांग काल गणना की शुरुआत इत्यादि के रुप में भी मनाया जाता है. संस्कृत में नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’ और प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों या अवतारों की पूजा करने के लिए मनाया जाता है. देशभर में बहुत हर्ष और उल्लास के साथ इस दिन को मनाने की परंपरा रही है.
देश के विभिन्न हिस्सों में पंडालों का निर्माण किया जाता है. देवी दुर्गा या ‘नव दुर्गा‘ के नौ रूपों के पूजन में विशेष भोग का निर्माण भी होता है. इन नौ दिनों में देवी को विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित करने की विशेष व्यस्था होती है तथा इन भोग द्वारा देवी को प्रसन्न करते हुए जीवन को आनंदित किया जा सकता है. इस अवसर पर विशेष नैवेद्य और प्रार्थना द्वारा देवी की पूजा संपन्न होती है. हमने दुर्गा के नौ रूपों और उन्हें प्रतिदिन अर्पित किए जाने वाले विशेष भोजन को सूचीबद्ध कर रहे हैं आईये जाने प्रत्येक स्वरुप को अर्पित किया जाने वाला भोग : –
देवी शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन देवी शैल पुत्री को शुद्ध देशी घी का भोग अर्पित किया जाता है. देवी शैलपुत्री अपने हाथ में त्रिशूल और कमल सुशोभित करती हैं और नंदी बैल की सवारी करती हैं. भक्त पहले दिन दुर्गा के पहले रूप को शुद्ध देसी घी चढ़ाते हैं.
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देवी ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी को फल एवं मिश्री का भोग अर्पित किया जाता है. दूसरे दिन दुर्गा के दूसरे अवतार, देवी ब्रह्मचारिणी का प्रतीक है. दूसरे दिन इन्हें चीनी और फलों का भोग परोसा जाता है.
देवी चंद्रघंटा
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को खीर का भोग अर्पित किया जाता है. दुर्गा की तीसरी अभिव्यक्ति देवी चंद्रघंटा हैं, जो एक उग्र, क्रोध युक्त देवी हैं इन्हें प्रसन्न करने हेतु खीर या दूध से बने भोग अर्पित करते हैं.
देवी कुष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा को खोया और मैदे से बने भोग चढ़ाएं जाते हैं.. देवी कुष्मांडा ब्रह्मांड की ऊर्जा हैं. इस दिन माता को मालपुए का भोग भी अर्पित करते हैं.
देवी स्कंदमाता
नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता को सूखे मेवों का भोग चढ़ाते हैं. देवी स्कंदमाता को कार्तिकेय की माता हैं अत: इस दिन संतान सुख की कामना पूर्ण होती है.
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देवी कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी को मधु का भोग चढ़ाते हैं. देवी कात्यायनी समस्त कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हैं. मधु पान द्वारा देवी शांत एवं प्रसन्न होती हैं इसलिए इस दिन देवी को इसका भोग अवश्य अर्पित करना चाहिए.
देवी कालरात्रि
नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि को ईख, गन्ने का रस अथवा गुड़ इत्यादि का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है. इस भोग द्वारा देवी भक्त के जीवन को शुभता से भर देती हैं.
देवी महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी को श्रीफल विशेष रुप से चढ़ाते हैं. इसके द्वारा शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
देवी सिद्धिदात्री
नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री को तिल का भोग चढ़ाया जाता है. नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. तिलों से होम करने का भी विधान इस दिन पर विशेष रुप से किया जाता है. तिल से बने पदार्थ देवी को अर्पित करने से पाप कर्मों की शांति होती है.
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