Friday, April 1, 2022
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Chaitra Amavasya 2022: चैत्र अमावस्या पितृ शांति का सर्वोत्तम दिन 


चैत्र अमावस्या पितृ शांति का सर्वोत्तम दिन 
– फोटो : google

चैत्र अमावस्या पितृ शांति का सर्वोत्तम दिन 

भारतीय संस्कृति में, अमावस्या के दिन और रात का बहुत महत्व है कई त्योहार और व्रत या उपवास अमावस्या तिथि से जुड़े हैं. अप्रैल 2022 में  चैत्र अमावस्या हिंदू कैलेंडर की पहली अमावस्या है जो चैत्र के महीने से शुरू होती है. अगले दिन से अर्थात चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि से 9 दिवसीय चैत्र नवरात्रि पर्व प्रारंभ हो जाते हैं. गुजराती कैलेंडर और दक्षिणी अमांता कैलेंडर के अनुसार, यह फाल्गुन अमावस्या है, जो अमांत हिंदू कैलेंडर वर्ष की अंतिम अमावस्या होती है. तेलुगु, कन्नड़ और मराठी लोग फाल्गुन अमावस्या के बाद के दिन को नए साल को उगादी या गुड़ी पड़वा के रूप में मनाते हैं, 

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कब है चैत्र अमावस्या 

चैत्र अमावस्या 01 अप्रैल को मनाई जाएगी.  अमावस्या तिथि का समय आरंभ होगा 31 मार्च, दोपहर 12:22 से ओर यह समाप्त होगी 1 अप्रैल 11:54 पर समाप्त होगी.  अमावस्या का दिन कई लोगों द्वारा श्रद्धा के साथ मनाया जाता है और माना जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने और अपने पूर्वजों, को श्रद्धांजलि देने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है.

मौनी अमावस्या, शनि जयंती, वट सावित्री व्रत, भौमवती अमावस्या, लक्ष्मी पूजा (दिवाली), हरियाली अमावस्या, महालय अमावस्या (पितृ पक्ष) कुछ सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण अमावस्या तिथियां हैं.सभी अमावस्या के दिनों में, सोमवार, मंगलवार और शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को सबसे शुभ माना जाता है. इस दिन व्रत करना सबसे अधिक पुण्यदायी माना जाता है. गंगा, यमुना, कृष्णा या कावेरी जैसी पवित्र नदियों के जल में पवित्र डुबकी लगाना भी शुभ होता है. अमावस्या के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार, वाराणसी आदि धार्मिक स्थलों पर पहुंचते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होते हैं. चैत्र अमावस्या का दिन आध्यात्मिक कार्यों, दान, स्नान इत्यादि तर्पण के लिए अनुकूल होता है. कर्म दोषों को समाप्त करने और पापों से मुक्ति पाने के लिए यह दिन सर्वोत्तम होता है.  

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चैत्र अमावस्या व्रत 

चैत्र अमावस्या पर लोग भगवान विष्णु और चंद्रमा भगवान के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखते हैं. भक्त अपने घरों या मंदिर में देवता की पूजा करते हैं.  अनाज या पके हुए भोजन को गरीबों में वितरीत किया जाता है.  सामर्थ्य अनुसार दान  कार्य किए जाते हैं. मृत पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दान पुण्य किया जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या के दिन पूर्वज अपने वंशजों के घर जाते हैं और यदि उन्हें पवित्र भोजन और प्रार्थना की जाती है, तो वे अपने उत्तराधिकारियों को आशीर्वाद देते हैं.

दीपदान 

चैत्र अमावस्या का दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाना अत्यंत शुभ होता है इसके अलावा उज्जैन, नासिक, प्रयाग और हरिद्वार में इस स्नान कार्य को किया जाता है. मान्यता अनुसार पवित्र स्नान करने से भक्तों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. मन की शांति और विचारों में स्पष्टता पाने के लिए भक्त भगवान शिव की पूजा भी करते हैं. संध्या समय दीपदान करने का विधान भी है. 

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अमावस्या पर श्राद्ध करना

श्राद्ध हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठा होता है जो मृत पूर्वजों की शांति तृप्ति हेतु किया जाता है. हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि मृत्यु के बाद दिवंगत आत्माएं पितृ लोक में निवास करती हैं. यह एक अस्थायी निवास माना जाता है जहां आत्माएं अपने नए जन्म के समय तक छोटी अवधि के लिए निवास करती हैं. इस समय के दौरान, उनकी आत्मा को प्यास और भूख का अनुभव होता है. पृथ्वी पर उनके वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध कार्य से पूर्वजों को शांति मिलती है. मंत्रों के जाप के साथ प्रसाद वितरण पितृ लोक में रहने के दौरान पूर्वजों के कष्ट की समाप्ति करता है. 

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