CBDC को ब्लॉकचेन नेटवर्क पर बनाया जाता है और यह क्रिप्टोकरंसी की तरह होती है। हालांकि, CBDC को सेंट्रल बैंक रेगुलेट करते हैं और इससे इनसे जुड़ी ट्रांजैक्शंस सेंट्रलाइज्ड होती हैं और इनका पता लगाया जा सकता है। क्रिप्टोकरंसीज की ट्रांजैक्शंस डीसेंट्रलाइज्ड होती हैं। जमैका पिछले कई महीनों से अपनी CBDC पर काम कर रहा है और Jam-Dex को जल्द ही लॉन्च किया जाना है। इसकी टेस्टिंग पिछले वर्ष पूरी की गई थी। जमैका के फाइनेंस मिनिस्टर Nigel Clarke ने बताया कि जमैका के सभी लोगों के पास एक वॉलेट प्रोवाइडर या बैंक के जरिए Jam-Dex तक पहुंच होगी।
Jamaica Observer की हाल की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि जमैका की लगभग 17 प्रतिशत जनसंख्या के पास बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच नहीं है। बैंक एकाउंट रखने वाले जमैका के सभी लोग ऑटोमैटिक तरीके से Jam-Dex डिजिटल वॉलेट प्राप्त कर सकेंगे। भारत, अमेरिका और रूस जैसे कुछ अन्य देश भी अपनी CBDC डिवेलप कर रहे हैं। रूस ने पहले ही डिजिटल रूबल कही जाने वाली अपनी CBDC की टेस्टिंग शुरू कर दी है। अटलांटिक काउंसिल के CBDC ट्रैकर से पता चलता है कि 86 देश अपनी डिजिटल करंसी डिवेलप कर रहे हैं। इन देशों की संख्या पिछले दो वर्षों में लगभग दोगुनी हुई है। इन देशों में से नौ ने पहले ही अपनी CBDC लॉन्च कर दी है और 15 देश इसका परीक्षण कर रहे हैं।
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि उन्हें इस वर्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से CBDC लॉन्च करने की उम्मीद है। अमेरिका ने भी क्रिप्टो पर जारी एग्जिक्यूटिव ऑर्डर में फेडरल रिजर्व से CBDC डिवेलप करने की संभावना पर विचार करने के लिए कहा है।
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