नई दिल्ली. आज के दौर में ज्यादातर शहरी या कस्बाई इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए कार स्टेटस सिंबल से ज्यादा जरूरत बन चुकी है. ऐसे में पिछले कुछ साल के भीतर कारों की बड़ी संख्या में बिक्री हुई है. इनमें से काफी लोगों को हर साल लिया जाने वाला कार इंश्योरेंस बोझ की तरह लगता है. आज हम आपको बता रहे हैं कि आप कुछ खास बातों का ख्याल रखकर कैसे अपनी कार के इंश्योरेंस को सस्ते (how to get cheap car insurance) में खरीदकर अतिरिक्त बोझ से बच सकते हैं.
मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में होते हैं दो अहम हिस्से
मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी (Motor Insurance Policy) के दो हिस्से होते हैं. पहला थर्ड-पार्टी लायबिलिटी और दूसरा ऑन डैमेज कवर होता है. थर्ड-पार्टी लाबिलिटी में दूसरे की गाड़ी को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है. यह लेना अनिवार्य होता है. वहीं, ऑन-डैमेज कवर में अपनी गाड़ी को हुए नुकसान के लिए सुरक्षा मिलता है. यह वैकल्पिक सुविधा है. हालांकि, लोग इसे जरूर लेते हैं.
आइए अब जानते हैं कि कार इंश्योरेंस के प्रीमियम को कैसे कम कराया जा सकता है…
कई इंश्योरेंस कंपनियों की पॉलिसी की तुलना करें
नई या पुरानी कार खरीदने से पहले इंश्योरेंस का खर्च पता कर लें. कार इंश्योरेंस प्रीमियम (Car Insurance Premium) उसकी कीमत, मरम्मत पर आने वाले खर्च, सेफ्टी रिकॉर्ड और चोरी की आशंकाओं को देखते हुए तय किया जाता है. कई इंश्योरेंस कंपनियां डिस्काउंट ऑफर करती हैं. इससे आपका प्रीमियम थोड़ा कम हो सकता है. लिहाजा, किसी एक ही कंपनी के बजाय कई कंपनियों की कार इंश्योरेंस पॉलिसी की तुलना करें.
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समय पर करवाएं इंश्योरेंस पॉलिसी का नवीकरण
कार इंश्योरेंस के नवीकरण (Car insurance renewal) की प्रक्रिया पहले की पॉलिसी का समय पूरा होने से पहले ही शुरू कर देनी चाहिए. इससे सर्वे के झंझट और उस पर लगने वाले चार्ज की बचत होगी. दरअसल, मौजूदा कार इंश्योरेंस पॉलिसी की अवधि पूरी होने के बाद नवीकरण प्रक्रिया शुरू होने पर ज्यादातर कंपनियां पहले आपकी कार का सर्वे कराती हैं. इसके लिए हर कंपनी अलग शुल्क वसूलती है. वहीं, समय भी बर्बाद होता है.
कार इंश्योरेंस का प्रीमियम नो क्लेम बोनस (NCB) की मदद से घट जाता है. इंश्योरेंस रिन्यू कराते समय आप अपनी कार की इंश्योरेंस वैल्यू या फिर इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (IDV) चेक कर लें. प्रीमियम कम करने के लिए यह बहुत ही जरूरी मानक होता है. आईडीवी के जरिये आपको इंश्योरेंस कराते समय अपनी कार की रीसेल वैल्यू का भी पता चल जाता है.
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नो क्लेम बोनस से प्रीमियम में मिलता है फायदा
कार इंश्योरेंस एक साल तक प्रभावी रहता है. इसके बाद इसे रिन्यू किया जाता है. आपको प्रीमियम लंबी अवधि के लिए देना होता है, लेकिन हर साल के आधार पर कवरेज लिया जाता है. अगर आपने किसी एक साल कोई क्लेम नहीं किया है तो उस साल आप नो क्लेम बोनस ले सकते हैं. नो क्लेम बोनस प्रीमियम का 20 से 50 फीसदी तक हो सकता है.
पुरानी कार का एनसीबी नई कार पर होगा ट्रांसफर
अगर साल के दौरान आपने कोई क्लेम नहीं किया और इससे आपका नो-क्लेम बोनस बचा है तो आप नई कार खरीदते समय एनसीबी को नये वाहन पर ट्रांसफर भी करा सकते हैं. इसके अलावा अगर आप सुरक्षित तरीके से गाड़ी चलाएंगे तो दुर्घटना (Road Accidents) से बचे रहेंगे और ट्रैफिक नियमों (Traffic Rules) का उल्लंघन नहीं करेंगे. इससे भी आपका इंश्योरेंस प्रीमियम घट जाता है.
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एंटी-थेफ्ट डिवाइस लगवाने पर घटेगा प्रीमियम
सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम या अलार्म जैसे एंटी-थेफ्ट डिवाइस को कार में इंस्टॉल कराने से आपको बीमा कंपनी मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी के ऑन-डैमेज प्रीमियम पर 2.5 फीसदी तक की छूट दे सकती हैं. यह छूट अधिकतम 500 रुपये तक हो सकती है. वहीं, अगर आप ऑटोमोबाइल एसोशिएशन ऑफ इंडिया या वेस्टर्न इंडिया ऑटोमोबाइल एसोशिएसन जैसे किसी संगठन के सदस्य हैं तो बीमा कंपनियों से कार इंश्योरेंस प्रीमियम में 5 फीसदी की छूट (अधिकतम 200 रुपये तक) ले सकते हैं.
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