नेशनल
डिजिटल
हेल्थ
ईकोसिस्टम
बजट
2022-23
के
दौरान
वित्त
मंत्री
ने
नेशनल
डिजिटल
हेल्थ
इको
सिस्टम
बनाने
की
घोषणा
की
है।
इसमें
स्वास्थ्य
प्रदाताओं
और
स्वास्थ्य
सुविधाओं
की
डिजिटल
रजिस्ट्रियां,
विशिष्ट
स्वास्थ्य
पहचान
और
लोगों
तक
आसानी
से
डिजीटली
माध्यम
से
स्वास्थ्य
सुविधाओं
को
पहुंचाने
पर
जोर
दिया
जाएगा।
गौरतलब
है
कि
लॉकडाउन
के
समय
में
टेली
मेडिसिन
एंड
कंसल्टेंसी
ने
लोगों
तक
स्वास्थ्य
सुविधाओं
को
पहुंचाने
में
महत्वपूर्ण
भूमिका
निभाई
थी।
आयुष्मान
भारत
डिजिटल
मिशन
इस
मिशन
के
जरिए
सरकार
स्वास्थ्य
क्षेत्र
को
डिजिटल
करने
पर
जोर
दे
रही
है।
बजट
पेश
करते
हुए
वित्त
मंत्री
निर्मला
सीतारमण
ने
कहा
कि
नेशनल
डिजिटल
हेल्थ
केयर
के
लिए
एक
नए
और
ओपन
प्लेटफॉर्म
की
शुरुआत
की
जाएगी
जिसमें
स्वास्थ्य
सुविधाओं
के
लिए
डिजिटल
पंजीकरण,
स्वास्थ्य
पहचान
पत्र
समेत
कई
जरूरी
चीजें
शामिल
होंगी।
इस
प्लेटफॉर्म
के
जरिए
आम
जन
तक
डिजिटल
माध्यम
से
किसी
भी
सुविधा
का
लाभ
ले
सकेंगे।
नेशनल
टेली
मेंटल
हेल्थ
प्रोग्राम
इस
प्रोग्राम
के
जरिए
कोरोना
महामारी
के
बाद
लोगों
के
मेंटल
हेल्थ
पर
हुए
असर
को
लेकर
काम
किया
जायेगा।
सरकार
ने
मेंटल
हेल्थ
के
विषय
पर
जोर
देते
हुए
इस
योजना
की
शुरुआत
की
है।
नेशनल
मेंटल
हेल्थ
प्रोग्राम
के
तहत
मानसिक
स्वास्थ्य
काउंसलिंग
और
मरीजों
के
देखभाल
से
जुड़ी
सेवाओं
को
बेहतर
ढंग
से
पहुंचाया
जायेगा।
राष्ट्रीय
टेली
मानसिक
स्वास्थ्य
कार्यक्रम
की
घोषणा
करते
हुए
वित्त
मंत्री
निर्मला
सीतारमण
ने
कहा
है
कि
इसके
तहत
अंतरराष्ट्रीय
सूचना
प्रौद्योगिकी
संस्थान,
बेंगलुरू
(आईआईआईटीबी)
से
तकनीकी
सहायता
ली
जाएगी।
कोविड
के
इलाज
पर
टैक्स
पर
राहत
बजट
में
उन
लोगों
को
राहत
दी
गई
है,
जिन्हें
कोविड
19
के
इलाज
पर
हुए
खर्च
के
लिए
पैसा
मिला
है।
इसी
तरह
किसी
व्यक्ति
की
मौत
पर
परिवार
के
सदस्यों
को
मिलने
वाले
पैसे
पर
परिवार
के
सदस्यों
के
लिए
10
लाख
तक
की
छूट
होगी।
स्वच्छता
पर
करीब
2
लाख
80
हजार
करोड़
खर्च
होंगे
देश
में
75
हजार
ग्रामीण
हेल्थ
सेंटर
औऱ
खोले
जाएंगे।
देश
के
सभी
जिलों
में
जांच
केंद्र
और
602
जिलों
में
क्रिटिकल
केयर
हॉस्पिटल
खोले
जाएंगे।
इसके
साथ
ही
न्यूटिशन
पर
फोकस
किया
जाएगा
और
जल
जीवन
मिशन
(अर्बन)
भी
लॉन्च
किया
जाएगा।
500
अमृत
शहरों
में
सैनिटाइजेशन
पर
फोकस
किया
जाएगा।
स्वच्छता
के
लिएकरीब
2
लाख
80
हजार
करोड़
रुपये
खर्च
किए
जाएंगे।
शहरी
स्वच्छ
भारत
मिशन
2.0
पर
अगले
5
सालों
में
एक
लाख
41
हजार
करोड़
रुपए
खर्च
होंगे.
इसके
साथ
ही
2
हजार
करोड़
रुपये
सिर्फ
स्वच्छ
हवा
के
लिए
किया
जाएगा।
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