न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में बिटकॉइन फ्यूचर्स ईटीएफ के आने से क्रिप्टो-फैन्स में खासा जोश है। इस जोश का एक कारण यह भी है कि जिस दिन बिटकॉइन फ्यूचर्स ईटीएफ न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लॉन्च हुआ, उसके एक दिन बाद ही बिटकॉइन अपने अब तक सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।
What is a Bitcoin Future ETF
एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) फाइनेंशिअल प्रोडक्ट्स हैं जो रेगुलेटेड होते हैं और अलग अलग एसेट्स की एक रेंज को दर्शाते हैं।
एक ईटीएफ इसके नीचे के एसेट्स की कीमत में उतार-चढ़ाव को भी ट्रैक करता है, जिससे लोगों को एसेट के चल रहे प्राइस ट्रेंड में से प्रोफिट कमाने का मौका मिल जाता है, वह भी बिना इसकी एक भी यूनिट को खरीदे हुए।
Bitcoin futures एक तरह का प्राइस ट्रैकिंग ट्रेडिंग कॉन्ट्रेक्ट है जिसमें दो पार्टी शामिल होती हैं। CoinDesk की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों पार्टियों के बीच में इसमें किसी बाद की तारीख में बिटकॉइन खरीदने और बेचने की सहमति होती है, उस कीमत पर जो पहले से ही तय की गई होती है। इस तरह की ट्रेडिंग कमोडिटी एक्सचेंज पर होती है।
बिटकॉइन की अंतिम दिन की कीमत – कम या ज्यादा – इस बिटकॉइन फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट को प्रभावित नहीं कर सकती है। इस मामले में जहां एक व्यक्ति को लाभ होता है, वहीं दूसरे को नुकसान होता है।
बिटकॉइन फ्यूचर्स ईटीएफ को यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) से मंजूरी मिली है, जिससे क्रिप्टोकरेंसी के आसपास का माहौल गर्म हो गया है। जबकि वहां की सरकार अपने लाभ के लिए क्रिप्टो स्पेस का इस्तेमाल करने और इसे रेगुलेट करने के तरीके तलाश रही है।
SEC के चेयरमैन गैरी जेन्सलर ने एक इंटरव्यू में कहा, “हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं वह यह है कि इनवेस्टर के प्रोटेक्शन को ध्यान में रखते हुए हम अपनी अथॉरिटीज के भीतर रहकर उनके लिए बेस्ट प्रोजेक्ट्स ला सकें। बिटकॉइन फ्यूचर्स की देखरेख हमारी ही दूसरी एजेंसी कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमिशन (CFTC) करती है।“
इंटरव्यू की एक वीडियो क्लिपिंग CNBC द्वारा ट्वीट की गई है।
ईटीएफ की वैल्यू Bitcoin futures की प्राइस मूवमेंट के हिसाब से चलती है।
Pros and Cons of Bitcoin Future ETFs
किसी एसेट के स्टोरेज की लागत और जरूरत को हटाने के अलावा, Future ETF कमोडिटी को खरीदना और ट्रेड करना आसान बनाता है। इसके अलावा, कॉन्ट्रेक्ट में शामिल होने वाली पार्टियों में से एक को प्रोफिट का जो मार्जिन मिलेगा वो काफी बड़ा हो सकता है।
हालाँकि, इस प्रोटोकॉल की एक मेन खामी यह है कि बिटकॉइन एसेट को बड़े एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर नहीं रखा जा सकता है और न ही ट्रेड किया जा सकता है। इसके अलावा, विभिन्न क्रिप्टो-प्राइस ट्रैकर्स की एक्यूरेसी में उतार-चढ़ाव होता रहता है, इसलिए फ्यूचर ईटीएफ कॉन्ट्रेक्ट के तहत एक खास डेट को एसेट की वैल्यू के लिए बनी सहमति नुकसान का सौदा भी साबित हो सकती है।
जब Bitcoin futures कॉन्ट्रेक्ट समाप्त हो जाता है, तो ईटीएफ जारी करने वाली कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट को रोल करने की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि लगभग समाप्त हो चुके कॉन्ट्रेक्ट को बेचकर मिले रिवेन्यू से नए कॉन्ट्रैक्ट्स एक्सटेंडेड एक्सपायरी डेट के साथ खरीदना।
ऐसी स्थिति में, जहां बिटकॉइन जैसे ऐसेट का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट प्राइस नए कॉन्ट्रैक्ट प्राइस से कम है, तो ऐसे में जो कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने जा रहे हैं उनसे होने वाली इनकम उनके जितने ही नए कॉन्ट्रैक्ट खरीदने के लिए फाफी नहीं होगी जो एक बाद की डेट में जाकर एक्सपायर होंगे।