Beneficial yoga for eyes: दिनभर कंप्यूटर या लैपटाप पर काम करना पड़े तो आंखों पर बुरा असर पड़ना ही ही. ऐसे में अच्छी-खासी नजर वाली आंखों पर भी चश्मा चढ़ ही जाता है. इसके अलावा आजकल बहुत कम उम्र के बच्चों में भी नजर में कमी की समस्या देखी जा रही है. वहीं लगातार टीवी देखते रहने या फिर वीडियो गेम्स खेलने की वजह से बच्चों को बहुत ही कम उम्र में चश्मा लग जाता है. ऐसे में आंखों की दृष्टि में कमी को दूर करने के लिए योग का सहारा लिया जा सकता है.
इस खबर में हम आपके लिए लेकर आए हैं अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायम के फायदे. जी हां, यह दोनों प्राणायाम आंखों के लिए जबरदस्त फायदे पहुंचाते हैं. अगर आप आंखों से जुड़ी नजर कम होना या फिर आंखें दर्द होने जैसी समस्या से परेशान हैं तो इन दोनों प्राणायाम का अभ्यास जरूर करें.
1. अनुलोम-विलोम प्राणायाम
इसके नियमित अभ्यास से सांसों से संबंधित किसी भी तरह समस्या होने की सारी संभावनाएं खत्म हो जाती हैं. इसके अलावा भी यह कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मददगार है. हर रोज नियमित रूप से 10 मिनट तक अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास करने वाले लोगों को आंखों से संबंधित किसी भी तरह की समस्या नहीं होती.
कैसे करें अनुलोम-विलोम प्राणायाम
- सबसे पहले पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएं.
- अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद कर लें और बाएं छिद्र से सांस अंदर भरें.
- कुछ सेकंड रुकें और फिर नाक के बाएं छिद्र को अंगूठे के बगल वाली अंगुली से बंद करें और दाएं छिद्र से अंगूठा हटा लें.
- अब दाएं छिद्र से सांस को बाहर निकालें.
- फिर दाएं छिद्र से फिर सांस खींचें और बाएं छिद्र से बाहर निकाल दें.
- इसके बाद आप इसी प्रक्रिया को दोहराएं.
2. आंखों के लिए लाभकारी है भ्रामरी प्रणायाम
भ्रामरी प्राणायाम आंखों के लिए बेहद लाभकारी है. इसे करते हुए भंवरे की तरह गुंजन की आवाज आती है. इसे आप कहीं भी और किसी भी समय कर सकते हैं. भ्रामरी प्राणायाम करने से दिमाग शांत रहता है और क्रोध आदि विकारों में कमी आती है. नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से आंखों को सुकून और आराम तो मिलता ही है, साथ ही साथ इससे आंखों की खोई हुई रोशनी भी वापस लाने में मदद मिलती है.
कैसे करें भ्रामरी प्राणायाम
- सबसे पहले आप पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएं.
- अपने अंगूठे से कान को अच्छी तरह से बंद कर लें.
- बाकी की चार उंगलियों को माथे पर रखकर पूरे ध्यान से ओम का उच्चारण करें.
- शुरुआत में इस प्रक्रिया को कम से कम 3-5 बार दोहराएं.