जानिए क्यों मनाया जाता है बैसाखी का पर्व
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क्यों मनाया जाता है बैसाखी का पर्व
खुशहाली और समृद्धि लाने वाला बैसाखी का पर्व इस वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह पर्व भारतीय किसानों का पर्व माना जाता है। आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार बैसाखी के दिन से सौर नववर्ष का आरंभ माना जाता है। बैसाखी का पर्व पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र में मनाया जाता है। इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और फसल के कटकर घर आने पर प्रकृति और ईश्वर का धन्यवाद करते हैं। नई फसल के कटकर घर आने की खुशी में लोग अपने पारंपरिक लोक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। आज हम आपको बताएंगे की बैसाखी का पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है
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बैसाखी के पर्व के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष मेष संक्रांति 14 अप्रैल को पड़ रही है इसलिए बैसाखी का पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाएगा।
बैसाखी का पर्व यू तो कई कारणों से मनाया जाता है परंतु सिख समुदाय के लिए बैसाखी का पर्व विशेष मायने रखता है। कुछ लोग बैसाखी का पर्व नई फसल के आने की खुशी में मनाते हैं। वहीं सिख समुदाय के लोगों के लिए बैसाखी के पर्व से नववर्ष का आगमन होता है। दूसरा कारण है की 13 अप्रैल 1966 को सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना करी थी। इसी के बाद से बैसाखी का पर्व मनाया जाने लगा था। इन्ही कारणों के चलते पंजाब और सिख समुदाय के लोगो के लिए बैसाखी का पर्व बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
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अब बात करते हैं कि बैसाखी का पर्व कैसे मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है। गुरुद्वारे में जिस स्थान पर गुरु ग्रंथ साहिब जी रखी होती है उस स्थान को दूध और जल से शुद्ध किया जाता है और उसके बाद पवित्र किताब को ताज के साथ उस स्थान पर वापस रखा जाता है। साथ ही इस दिन गुरुद्वारों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है और श्रद्धालुओं के लिए खीर और शरबत का प्रसाद बनाया जाता है। सिख समुदाय में आस्था रखने वाले लोग इस दिन तड़के सुबह उठकर स्नान कर गुरुद्वारों में प्रार्थना करने जाते हैं और गुरुवाणी सुनते हैं।
बैसाखी के पावन दिन तक रबी की फसल पक जाती है और कट कर घर आ जाती है। भरपूर मात्रा में उपजी फसल के लिए इस दिन किसान ईश्वर और प्रकृति का धन्यवाद करते है। इसी कारण से किसानों के लिए बैसाखी का पर्व विशेष मायने रखता है।
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