बेहद
दुर्लभ
है
ऑटो
ब्रूअरी
सिंड्रोम
ऑटो
ब्रूअरी
सिंड्रोम
एक
ऐसी
डिसीज
है,
जो
बेहद
ही
दुर्लभ
है।
ऑटो
ब्रूअरी
सिंड्रोम
का
पहला
मामला
1950
के
दशक
में
सामने
आया
था।
यह
वयस्कों
के
साथ-साथ
बच्चों
दोनों
को
भी
प्रभावित
कर
सकता
है।
इसमें
व्यक्ति
को
चक्कर
आना,
थकान,
मूड
बदलना,
भाषण
में
गड़बड़ी,
उल्टी,
मतली,
सिरदर्द
व
को-आर्डिनेशन
की
समस्या
आदि
हो
सकती
है।
ऑटो-ब्रूअरी
सिंड्रोम
का
क्या
कारण
है?
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल
रोग
या
माइक्रोबायोम
असंतुलन
कुछ
ऐसी
कंडीशन
हैं,
जिसके
कारण
कुछ
व्यक्तियों
की
आंत
में
फरमेंटेशन
होता
है।
कुछ
मेडिकल
कंडीशन
में
ऑटो-ब्रूअरी
सिंड्रोम
विकसित
होने
की
संभावना
बढ़
जाती
है
जैसे
कि
इरिटेबल
बाउल
सिंड्रोम,
छोटी
आंत
में
बैक्टीरिया
का
विकास,
मोटापा,
मधुमेह,
क्रोहन
रोग,
लो
इम्युनिटी
लेवल
और
लंबे
समय
तक
या
एंटीबायोटिक
दवाओं
के
लगातार
उपयोग
से
फंगल
अतिवृद्धि
होती
है।
इस
सिंड्रोम
से
ग्रस्त
लोग
आमतौर
पर
उच्च
कार्बोहाइड्रेट
और
हाई
शुगर
डाइट
होते
हैं।
ऑटो-ब्रूअरी
सिंड्रोम
का
उपचार
अगर
ऑटो-ब्रूअरी
सिंड्रोम
के
उपचार
की
बात
हो
तो
आहार
में
बदलाव
ही
इस
सिंड्रोम
के
लिए
सबसे
अच्छा
उपचार
विकल्प
हैं।
इस
समस्या
से
पीड़ित
व्यक्ति
को
डॉक्टर
कार्बोहाइड्रेट
का
सेवन
प्रतिबंधित
करने
की
सलाह
देते
हैं।
वहीं,
रोगियों
को
अपने
आहार
में
प्रोटीन
बढ़ाने
की
सलाह
दी
जाती
है।
सफेद
चावल,
सफेद
ब्रेड,
पेस्ट्री,
डेसर्ट,
पास्ता,
शर्करा
युक्त
पेय
से
बचना
ऐसे
लोगों
के
लिए
लाभकारी
होता
है।
रोग
की
गंभीरता
के
आधार
पर,
डॉक्टरों
द्वारा
उपचार
के
मजबूत
विकल्प
अपनाए
जा
सकते
हैं।
चूंकि
यह
एक
बहुत
ही
दुर्लभ
स्थिति
है,
इसलिए
डॉक्टर
की
देखरेख
में
इलाज
से
कभी
नहीं
बचना
चाहिए।
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