Astrology, Kundli : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल मनुष्य को प्रभावित करती है. कुंडली में जब शुभ ग्रह की संख्या अधिक होती है तो लड़कियों के मामले में इसे अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है. जिस कन्या की कुंडली के लग्न, पंचम, सप्तम और एकादश भाव शुभ ग्रहों से दृष्ट होता है, उस कन्या को अच्छा और योग्य वर की प्राप्ति होती है. कन्या को योग्य वर दिलाने में इन ग्रहों का अहम योदान माना जाता है.
गुरु (Jupiter)- ज्योतिष शास्त्र में गुरु को बृहस्पति भी कहा जाता है. विवाह कराने में इस ग्रह को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है. कन्या की कुंडली में गुरु बलशाली और शुभ स्थिति में विराजमान हो तो योग्य वर की प्राप्ति होती है. गुरु को ज्ञान और उच्च पद का कारक माना गया है. भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरु मजबूत होते हैं. गुरु को धनु और मीन राशि का स्वामी माना गया है
शुक्र (Venus)- ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को लग्जरी लाइफ का कारक माना गया है. वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने में इस ग्रह का विशेष भूमिका मानी गई है. शुक्र भोग विलास का कारक होने के साथ-साथ, मनोरंजन, फैशन, सौंदर्य, पर्यटन आदि का भी कारक बताया गया है. वृषभ और तुला राशि का स्वामी शुक्र को माना गया है. कुंडली में इस ग्रह का शुभ होना, अच्छा वर मिलने की संभावना को प्रबल बनाता है.
बुध (Mercury)- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध ग्रह को नवग्रहों में राजकुमार बताया गया है. बुध को वाणी, वाणिज्य, गणित, कम्युनिकेशन आदि का कारक माना गया है. बुध के शुभ होने पर व्यक्ति का सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा होता है. मिथुन और कन्या राशि का स्वामी बुध को माना गया है. कन्या की कुंडली के सप्तम भाव पर जब इस ग्रह की दृष्ट पड़ती है तो उत्तम वर की प्राप्ति होती है. इसके साथ अन्य ग्रहों की स्थिति का आंकलन करना आवश्यक माना गया है.
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