भारतपे के फाउंडर अशनीर ग्रोवर, जानिए क्या कहते हैं इनके सितारे
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भारतपे के फाउंडर अशनीर ग्रोवर, जानिए क्या कहते हैं इनके सितारे
अशनीर ग्रोवर इस समय विवादों का नया चेहरा बनकर उभरे हैं. भारतपे के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर ने फिनटेक स्टार्टअप के साथ-साथ उसके बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है, जबकि उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें अपमानजनक तरीके से बदनाम किया गया है और लगभग दो महीने से चल रहे एक संघर्ष उन्होंने इस्तीफा देकर रोक दिया गया है. 1 मार्च की आधी रात को कंपनी के बोर्ड को भेजे गए अपने इस्तीफे के पत्र में, ग्रोवर ने भारतपे के निवेशकों और बोर्ड पर संस्थापकों को गुलाम मानने और कंपनी के संस्थापकों को हटाने का आरोप लगाया. अशनीर ग्रोवर के कंपनी और बोर्ड से इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद, उन्होंने कहा कि उन्होंने 2.8 बिलियन डॉलर के फिनटेक स्टार्टअप से बाहर निकलने का फैसला किया है क्योंकि वह सार्वजनिक कॉरपोरेट ड्रामा को जारी नहीं रखना चाहते हैं. उन्होंने कंपनी की चल रही शासन समीक्षा और ऑडिट को खतरनाक जाल कहा, जिसका वह अब और हिस्सा नहीं बनना चाहते थे.
आईये जानते हैं की कैसा रहा इनके लिए ज्योतिष के दृष्टिकोण से अब तक का सफर और कैसा होगा आने वाला कल: –
कुंडली में ग्रहों की स्थिति की बात की जाए तो चंद्रमा की स्थिति कुंभ राशि में है और गुरु शनि दोनों ही वक्री अवस्था में हैं. इसी के साथ राहु की स्थिति उच्च प्रभाव देने वाली रही है ओर मंगल शनि की युति क्रोध जिद्द और त्वरित फैसलों को लेने में आगे रखती है. राहु की स्थिति एक मजबूत परिपेक्ष के रुप में समने आती है. राहु का प्रभाव जातक को अचानक प्रसिद्धि दिलाने में तब अधिक सहायक बनता है जब वह अपनी मजबूत स्थिति में होता है ओर चंद्र कुंडली से यह पंचम भाव में ही उच्च स्थिति का है तो इस कारण बोलचल की कुशलता के साथ ही बौद्धिक क्षमता में भी चमत्कारिक रंग दिखाता है.
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किसी भी कम में अचानक से मिलने वाली सफलता पर राहु का अधिपत्य साफ दिखाई देता है. इस समय पर बुध महादशा का प्रभव भी है ओर राहु की स्थिति मिथुन राशि में ही है तो बौद्धिकता का लौहा मनवाने में यह आगे रहे. अपनी इसी क्षमता से स्वयं को सफलता के शिखर तक ले जाने में सफल भी हुए.
चंद्रमा की स्थिति केमद्रूम में होते हुए भी भंग होती है क्योंकि गुरु की पंचम दृष्टि का प्रभाव इसे धनयोग प्रदान करता है. और इसी के कारण अपार धन संपदा भी मिली. गुरु ओर शुक्र की समस्प्तक दृष्टि ने रणनीति कुशलता प्रदन की है. मंगल शनि का युति संबंध व्यवहार में कठोरता और जिद का सूचक भी बनता है इस कारण से फैसला लेने में बहुत अधिक समय न लेते हुए आगे बढ़ने की रणनीति से काम लेना पसंद आता है.
शनि साढ़ेसाती और दशा का प्रभाव क्या दे पाएगा राहत ?
बुध महादशा का समय और साथ ही शनि साढ़ेसाती का प्रभाव अब प्रत्यक्ष रुप से सामने आएगा. शनि का प्रभाव आने वाले समय पर चंद्रमा के ठीक ऊपर ही होगा तो इस स्थिति में मानसिक रुप से तनाव कम होता दिखाई नही देता है.विवादों में न चाहते हुए भी फंस सकते हैं और साथ ही बंधन भी बनेगा. शनि कुंडली में वक्री अवस्था में है और बुध के स्वामित्व की कन्या राशि में जहां मंगल भी स्थिति हैं. अभी के समय पर मंग्ल का गोचर शनि के साथ ही मकर राशि में हो रहा है तो स्थिति इस समय परेशानी ही दिखाती है.
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