ग्वालियर में आयोजित हुए 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन में SJM की ओर से प्रस्ताव पारित किया गया। इसके मुताबिक, मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेड में FDI पर कई तरह की पाबंदियां लगी हैं और विदेशी कंपनियां यहां पर इन्वेंट्री आधारित मॉडल पर कारोबार नहीं कर सकतीं। उन पर प्राइसेज में बहुत ज्यादा कमी करने की भी रोक है। आरोप है कि एमेजॉन और फ्लिपकार्ट इन प्रावधानों का खुलकर उल्लंघन कर रही हैं।
स्वदेशी जागरण मंच ने दावा किया कि एमेजॉन अपनी ई-कॉमर्स रिटेल एक्टिविटीज के साथ-साथ रिटेल आउटलेट्स का अधिग्रहण करने की “होड़” में है। SJM ने कहा है कि शॉपर्स स्टॉप और मोर रिटेल चेन में एमेजॉन का इन्वेस्टमेंट इसी दिशा में बढ़ाया गया उसका एक कदम है।
SJM ने कहा कि एमेजॉन ने 2017-18 से 2019-20 के बीच सिर्फ तीन साल में लीगल और प्रोफेशनल फीस के तौर पर 9,788 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। SJM के मुताबिक, उसके अंदरूनी सोर्सेज का कहना है कि इन यह रकम देश में अफसरों को रिश्वत देने के लिए इस्तेमाल की जा रही है। इससे ‘साबित’ होता है कि इन सभी ई-कॉमर्स कंपनियों ने ‘गलत तरीके से लाइसेंस और मंजूरियां’ हासिल की हैं।
SJM की राष्ट्रीय सभा ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए कहा है कि इन कंपनियों को दी गई सभी मंजूरियां वापस ली जाएं और उनकी गतिविधियों को गैरकानूनी घोषित किया जाए।
स्वेदशी जागरण मंच का कहना है कि इस प्रकरण की CBI जांच कराई जाए। इन कंपनियों से फायदा लेने वाले अधिकारियों की पहचान होने तक उन्हें छुट्टी पर भेज दिया जाए, ताकि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जा सके। मंच ने कहा है कि अगर अफसर दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें सजा भी दी जानी चाहिए।