पत्थरों से सज्जित व मंदिर जिसमें ईंट और सरिये का नहीं हुआ प्रयोग, जाने कहा है यह मंदिर।
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पत्थरों से सज्जित व मंदिर जिसमें ईंट और सरिये का नहीं हुआ प्रयोग, जाने कहा है यह मंदिर।
भारत में कई मंदिर प्रसिद्ध है। उनकी प्रसिद्धि के अनेकों कारण है।लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरो के बारे में बताएंगे जिनके निर्माण में ईंट और सरिये का प्रयोग नही हो रहा। यह मंदिर सिर्फ पत्थरों को तराश कर बनाये जायेंगे। जो अपने आप में एक अद्भुद शिल्पशैली का उदहारण होंगे। इनकी ऊंचाई भी काफी होगी। इन मंदिरों का निर्माण अपने आप में एक चुनौती सा लगता है। लेकिन भारत में पहले भी कई ऐसे मंदिर मौजूद है और अब यह मंदिर उस सूची में जुड़ जायेंगे। चलिये आपको बताते है कौन कौन से है वो मंदिर। साथ ही उनसे जुड़ी कुछ जानकारी भी आपको देंगे।
कुछ समय पहले बुन्देलखण्ड में आचार्य विद्यासागर के सानिध्य में भगवान आदिनाथ के आंगन में सहस्त्रकूट जिनालय का पंचकल्याणक आयोजन हुआ था। जिसके चलते आचार्य प्रदेश में आये थे। इसी कारण से इन सभी मंदिरों के निर्माण कार्य में तेजी आई थी। आपकी जानकारी के लिए बता दे आचार्य जी की देख रेख में अब तक 67 मंदिरो का निर्माण हो चुका है। जिसमे से 52 मध्यप्रदेश में है और 17 बुन्देलखण्ड मे है।
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आचार्य जी के सानिंध्य में जितने भी मंदिर बन रहे है सभी नागर शाली में बन रहे है जो कि भारतीय कला के इतिहास में एक नया अंक जोड़ेंगे।
सबसे पहले आपको बताते है सागर के खुरई रोड स्थित भाग्योदय तीर्थ परिसर में बन रहे मंदिर के बारे में। यह एक एकड़ में लाल और पीले पत्थरों से दुनिया का सबसे बड़ा चतुर्मुखी जैन मंदिर बन रहा है। मंदिर में चारों ओर से प्रवेश किया जा सकेगा। 94 फीट ऊंची सीढिय़ां होंगी, जो ऊंचाई की तरफ कम होती जाएंगी। इससे यह भी नहीं पता चलेगा कि आप किस तरफ से आए। शिखर सहित मंदिर की ऊंचाई 216 फीट होगी। चारों दिशाओं में हाथी की मूर्तियां ऐसे लगेंगी कि मंदिर पीठ पर रखा दिखेगा। इस मंदिर का निर्माण कार्य 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
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अब बात करे दूसरे मंदिर की तो यह मंदिर भोपाल के हबीबगंज में पंच बालयती, त्रिकाल चौबीसी, सहस्त्रकूट जिनालय मे बनेगा। यह पहला पांच मंजिला जैन मंदिर होगा। इस मंदिर का निर्माण पीले पत्थरों से होगा। इस मंदिर के परिसर में सभी सुविधाये होंगी। जैसे कि अस्पताल, छात्रावास, संत निवास और ग्रंथालय भी होगा।
अब बात करे अगले मन्दिर की तो इसका निर्माण बीते बीस वर्षों से चल रहा है। इसका नाम सर्वोदय मंदिर है। यह मंदिर 4 एकड़ में फैला हुआ है। 17 हजार किलो अष्टधातु की कमल आसन पर आदिनाथ की 24 फीट ऊंची 24 हजार किलो अष्टधातु की विश्व की सबसे वजनी प्रतिमा स्थापित होगी। 144 फीट ऊंचा गुंबद होगा। संभवतः मंदिर के पंचकल्याण अप्रैल माह में हो सकता है।
बात करे अगले मंदिर की तो यह टीकमगढ़ से 45 किलोमीटर दूर झांसी मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण जैसलमेर के पीले पत्थरों से होगा। यह पत्थर सोने जैसी चमक रखते है। इस मंदिर में 24 तीर्थकरों के साथ 1008 प्रतिमायें लगेंगी। इस मंदिर का निर्माण 2025 तक पूर्ण होने की संभावना है।
इन सभी मंदिरों का निर्माण अपने आप में अनोखा है। इन सभी मंदिरों के दृश्य देखते ही बनेंगे। जब भक्त इन मंदिरों में जायेंगे तो इनकी निर्माण शैली देखने योग्य होगी।
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