Sunday, March 27, 2022
Homeभविष्यAmaing Temples: इन मंदिरों में भक्तों द्वारा भगवान को चढ़ाया जाता है...

Amaing Temples: इन मंदिरों में भक्तों द्वारा भगवान को चढ़ाया जाता है अनोखा प्रसाद


इन मंदिरों में भक्तों द्वारा भगवान को चढ़ाया जाता है अनोखा प्रसाद
– फोटो : google

इन मंदिरों में भक्तों द्वारा भगवान को चढ़ाया जाता है अनोखा प्रसाद

भारत एक प्राचीन और धार्मिक देश है। जिसमें सभी देवी देवताओं के भिन्न भिन्न मंदिर है। भारत में वर्षों पुराने प्राचीन मंदिर भी स्थापित है। साथ ही ऐसे मंदिर भी है जहाँ भक्तों द्वारा भगवान को प्रसन्न करने के लिए प्रसाद में भाँति भाँति की चीजें चढ़ाई जाती है। मंदिर में भक्त न केवल पूजा करते हैं बल्कि अपनी मनोकामना पूरी होने पर भगवान को प्रसाद भी चढ़ाते हैं और यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। आज हम आपको ऐसे ही मंदिरों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में जानकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे।

भारत में यूं तो देवी के मंदिर हर जगह स्थापित है। परंतु कामाख्या मंदिर एक शक्तिपीठ है जो असम के गुवाहाटी में स्थित है। इस मंदिर में जून के महीने में अम्बुबाची मेला लगता है। कहते हैं इस समय माँ कामाख्या ऋतुमति रहती है। इस मंदिर के बारे में सबसे रोचक बात यह है की अंबुबाची योग पर्व के दौरान माँ भगवती के गर्भगृह के कपाट खुद ही बंद हो जाते हैं। जिसके बाद उनके दर्शन करना निषेध होता है। फिर 3 दिन बाद माँ भगवती की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा और साधना की जाती है। जिसके बाद चौथे दिन ब्रह्म मुहूर्त में देवी को स्नान करा श्रृंगार अर्पित किया जाता है। उसी के बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। जब देवी रजस्वला होती है तो उससे पहले गर्भगृह में महामुद्रा के आसपास सफेद वस्त्र बिछा दिए जाते हैं। जो बाद में देवी के रज से रक्तवर्ण हो जाते हैं। जिन्हें भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। कहते हैं इस वस्त्र को धारण करके उपासना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

अष्टमी पर माता वैष्णों को चढ़ाएं भेंट, प्रसाद पूरी होगी हर मुराद 

ऐसा ही एक अनोखा मंदिर राजस्थान में स्थित है जिसे करणी माता मंदिर के नाम से जानते हैं। यहाँ पर लगभग 25,000 काले चूहे रहते हैं जिन्हें बहुत पवित्र माना जाता है। भक्त जो भी प्रसाद या चढ़ावा लाते हैं उन्हें चूहों को खिलाया जाता है। उसके बाद चूहों का झूठा प्रसाद भक्तों को दिया जाता है। भक्तों का मानना है कि इस प्रसाद के सेवन से जीवन में सुख समृद्धि आती है। भारत में देवी के कई मंदिर हैं लेकिन क्या आपने कभी चाइनीज काली माता मंदिर के बारे में सुना है? यह मंदिर कलकत्ता में स्थित है इस मंदिर का नाम चाइनीज काली मंदिर वहाँ आने वाले भक्तों के कारण पड़ा था। यहाँ पर माँ काली की पूजा अर्चना करने  भक्त चाइना टाउन से आते थे इसलिए इस मंदिर का नाम चाइनीज काली मंदिर पढ़ गया। सबसे रोचक बात यह है कि इस मंदिर में माँ काली को प्रसाद में मीठे की जगह नूडल्स का प्रसाद चढ़ाया जाता है। जिसके कारण यह मंदिर अपने आप में एक अनोखा मंदिर बन गया है।

एन सी आर क्षेत्र में बाबा भीष्म एक अनोखा मंदिर है। जहाँ पर भक्त यदि शराब पीकर मंदिर में चला भी जाए तो उस पर जुर्माना लगता हैं। परन्तु वही साल में 1 दिन ऐसा भी आता है कि जब भक्त एक से एक बढ़कर विदेशी या देसी ब्रैंड की शराब चढ़ाते हैं। इस मंदिर में साल में 1 दिन मेला लगता है जिस मेले के दौरान मंदिर में भक्त शराब चढ़ाते हैं और उसके बाद उस शराब को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। वही यदि कोई अन्य दिन मंदिर में शराब पीकर प्रवेश भी करता है तो उससे दंडित किया जाता है।

इस नवरात्रि कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन। 

क्या आपने कभी भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में डोसा अर्पित होते हुए देखा है। यदि नहीं तो आपको मदुरई में स्थित भगवान विष्णु के अलागर मंदिर में जाना चाहिये। इस मंदिर का असली नाम कालास्हागर था जो अब अलागर मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु को भोग में डोसा चढ़ाते हैं और उसके बाद भोग में चढ़ाए हुए डोसे को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांट दिया जाता है। यह बात मंदिर को अपने आप में अनूठा बनाती है। सभी मंदिरों में भगवान विष्णु को तुलसी दल तो अवश्य अर्पित किए जाते हैं और भिन्न भिन्न प्रकार के भोग चढ़ाया जाते हैं परंतु डोसा भगवान विष्णु को मात्र इसी मंदिर में चढ़ाया जाता है।

महाकाल की नगरी कहा जाने वाला उज्जैन। अपने आप में ही काफी प्रसिद्ध है भगवान शंकर के भक्त उनके महाकाल रूप के दर्शन करने के लिए उज्जैन नगरी जाना चाहते हैं। इसी उज्जैन नगरी में काल भैरव नाथ का मंदिर भी है। जहाँ पर भगवान भैरव को वाइन की बोतलें चढ़ाई जाती है। दरअसल इसके पीछे का कारण है तान्त्रिक। यह मंदिर पहले मात्र तांत्रिकों के लिए था। तांत्रिक अपनी विद्या को सिद्ध करके करने के लिए और भगवान भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए मांस, मदिरा, बलि और मुद्रा जैसा प्रसाद चढ़ाते थे। जिसके चलते यहाँ पर भगवान भैरव को यह सब वस्तुएँ अर्पित की जाती थी। परन्तु पिछले कुछ समय से यह मंदिर आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया जिसके बाद यहाँ पर बाकी सभी प्रथाएँ बंद हो गयी थी। लेकिन आज भी भक्त यहाँ कालभैरव भगवान को मदिरा का भोग लगाते हैं। जिसके चलते यहाँ पर भक्तों को प्रसाद के तौर पर भी वाईन ही मीलती है।

अधिक जानकारी के लिए, हमसे instagram पर जुड़ें ।

अधिक जानकारी के लिए आप Myjyotish के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।

 





Source link

RELATED ARTICLES

Jyotish Tips: शाम के समय भूल कर भी न करें यह काम। 

Birthdate Astrology: 26 मार्च को इन तारीखों में जन्मे लोगों को मिलेंगे शुभ समाचार

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular