Know the illusions related to Heart Attack : आजकल की लाइफस्टाइल में कम फिजिकल एक्टिविटी और अनियमित खानपान की वजह से हार्ट के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. आपको ये जानकार हैरानी होगी कि देश में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण हार्ट डिजीज (Heart Disease) है. इसमें भी 85% मौतें हार्ट अटैक (Heart Attack) और स्ट्रोक (Stroke) के कारण होती हैं. दैनिक भास्कर अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2021 में भारतीय मेडिकल प्रोफेशनल्स द्वारा प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि भारत में 50 साल से कम की लगभग 75% आबादी को कोर्डियक अरेस्ट और हार्ट संबंधी समस्या होने की आशंका है. महत्वपूर्ण बात ये है कि हार्ट संबंधी रोग और स्ट्रोक के 80% मामलों को रोका जा सकता है. इसमें तनाव को घटाना और रेगुलर रूटीन सबसे महत्वपूर्ण है. इसके अलावा फिजिकल एक्टिविटी भी बहुत अहम रोल अदा करती है.
देश के साथ ही दुनियाभर में बढ़ रहे हार्ट रोगों के मामलों के कारण भ्रम भी बढ़ रहा है. इस न्यूज रिपोर्ट में मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में इंटरवेश्नल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. तिलक सुवर्णा (Dr. Tilak Suvarna) ने हार्ट डिजीज से जुड़े कुछ भ्रम को लेकर टिप्स दिए हैं. जानते हार्ट डिजीज से जुड़े 5 भ्रम (Heart Disease related common misconception) और उनकी हकीकत के बारे में.
पतले लोगों को नहीं होता हार्ट अटैक
इस रिपोर्ट अनुसार, हार्ट डिजीज का संबंध वजन से ज्यादा लाइफस्टाइल से होता है. उनका कहना है कि अलबर्ट आइंस्टाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन की स्टडी में ओवरवेट समझे गए 50 फीसदी लोगों में कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर सामान्य मिला, क्योंकि वे एक्टिव थे, जबकि सामान्य वजन वाले लगभग एक चौथाई निष्क्रिय लोगों का कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर अधिक था. यदि लाइफस्टाइल नॉन एक्टिव है, तो हार्ट डिजीज का रिस्क ज्यादा है.
सर्जरी दवाइयों से ज्यादा इफेक्टिव
दवाइयों के साथ हमें चाहिए हम अपने लाइफस्टाइल में भी बदलाव लाएं, उससे सेहत को ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि अवरुद्ध धमनियों के इलाज के लिए ज्यादातर मामलों में स्टंट या बाईपास सर्जरी की जाती है. लेकिन, अमेरिकी के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की स्टडी में पाया गया है कि इसकी तुलना में यदि दवाइयों के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव किया जाए, तो ये सर्जरी से बेहतर होता है. स्टंट और बाईपास सर्जरी हार्ट अटैक रोकने की गारंटी नहीं हैं.
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हार्ट अटैक केवल पुरुषों को होता है
एक आम धारणा ये भी रहती है कि हार्ट अटैक केवल पुरुषों को ही होती है, लेकिन ऐसा नहीं है. 50 साल की उम्र के बाद इसका खतरा महिला और पुरुष दोनों में बराबर बना रहता है. अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है. महिलाओं में भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है. ऐसा महिलाओं में पाए जाने वाले हार्मोन एस्ट्रोजेन के कारण होता है. ये महिलाओं के दिल को सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन मेनोपॉज के दौरान इसकी मात्रा घटती है.
कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल तो रिस्क नहीं
आमतौर पर ये माना जाता है कि अगर आपकी बॉडी में कोलेस्ट्रॉल का लेवल नॉर्मल है, तो हार्ट अटैक का खतरा टल गया है, जबकि इसके अलावा भी हार्ट अटैक के लिए कई फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं. जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी की स्टडी में पाया गया कि हार्ट संबधी समस्याओं से पीड़ित 50 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिनका कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल था यानी कोलेस्ट्रॉल के अलावा भी कई फैक्टर्स हैं, जो हार्ट डिजीज के लिए जिम्मेदार हैं. हालांकि कॉलेस्ट्रॉल हार्ट रोगों से जुड़ा पहला और प्रमुख संकेत है.
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माता-पिता से बच्चों में आता है रोग
अगर माता-पिता में से किसी को हार्ट डिजीज है तो बच्चों में ये समस्या होगी इसकी आशंका बहुत ज्यादा होती है, पर ऐसा हमेशा हो ये जरूरी नहीं है. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की स्टडी के अनुसार, यदि माता-पिता में से किसी एक को भी हार्ट संबंधी रोग है तो संतान को भी होने की आशंका अधिक होती है, परंतु ये तह नहीं है कि संतान को हार्ट रोग होगा ही. उदाहरण के तौर प जेनेटिकली हाई कोलेस्ट्रॉल जिसे फैमिलिअल कोलेस्टेरोलेमिआ कहते हैं. उसकी आशंका 200 में से एक व्यक्ति को होती है.
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